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रूस व पश्चिमी देशों के बीच बढ़ती खाई

२८ अगस्त २००८

दक्षिणी ओसेतिया व अबखाजिया को अलग देश के तौर पर मान्यता देने के रूसी कदम पर पश्चिमी नेता जहां अपना रुख लगातार सख्त करते जा रहे हैं, वहीं रूस ने चेतावनी दी है कि उसे अलग थलग करने की कोशिश न की जाए.

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जॉर्जिया में अब मौजूद हैं रूसी सेनाएंतस्वीर: AP

दुनिया के सात ताकतवर ओद्यौगिक देशों ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका ने जॉर्जिया के अलगाववादी इलाकों को मान्यता देने की कड़ी निंदा की है और जॉर्जिया की अखंडता का समर्थन किया है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के प्रवक्ता ने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव से फोन पर हुई बातचीत में मैर्केल ने साफ कहा है कि जॉर्जिया के बंदरगाह शहर पोती और अबखाजिया और दक्षिणी ओसेतिया से अलग दूसरे इलाकों में भी रूस की मौजूदगी फ्रांस की मध्यस्थता से हुए युद्ध विराम समझौते का गंभीर उल्लंखन है.

Deutschland Angela Merkel vor Europa Karte
मैर्केल ने फोन करके सुनाई खरी खरीतस्वीर: AP

वहीं यूक्रेन के दौरे पर गए ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड मिलीबैंड ने रूसी राष्ट्रपति के इस बयान का जवाब दिया कि वह फिर से शीत युद्ध शुरू होने से नहीं डरते हैं. मिलीबैंड ने कहा, 'मैंने अपने भाषण में कहा है कि हम एक नया शीत युद्ध नहीं चाहते हैं, और इसे टालने की जिम्मेदारी अब रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव के ऊपर है.'

यूक्रेन भी रूस के खिलाफ पश्चिमी नेताओं का साथ दे रहा है. फ्रांसीसी विदेश मंत्री बर्नाड कुशनर की राय है कि रूस की नजर यूक्रेन और माल्दोवा जैसे देशों पर भी हो सकती है जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे. हालांकि रूसी राष्ट्रपति इस तरह की आशंका को पहले ही खारिज कर चुके हैं. लेकिन दक्षिणी ओसेतिया और अबखाजिया के बारे में अपने फैसले को उन्होंने फिर सही बताया है. मेद्वेदेव ने कहा कि दोनों इलाकों में खूनखराबे को देखते हुए हमें उनकी आजादी को मान्यता देनी पड़ी.

Medwedew und Putin
'जॉर्जिया को भेजे जा रहे हैं हथियार'तस्वीर: AP

इस बीच रूस ने यह भी कहा है कि काले सागर में नाटो की बढ़ती नौसैनिक मौजूदगी पर उसकी पूरी नजर है. रूस का आरोप है कि मानवीय सहायता पहुंचाने के नाम पर जॉर्जिया को हथियार भेजे जा रहे हैं. रूसी प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि रूस भी ऐतियाती कदम उठा रहा है. पेसकोव के मुताबिक युद्धपोतों के जरिए कभी सहायता सामग्री नहीं भेजी जाती. रूस ने कहा है कि अगर उसे अलग थलग करने की कोशिश की गई तो इसके आर्थिन नतीजे सबको भुगतने होंगे.