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रूस में राष्ट्रपति चुनाव

Ashraf, Anwar Jamal२ मार्च २००८

दिमित्री मेदवादेव का जीतना पक्का समझा जा रहा है लेकिन लोगों में उत्सुकता इस बात की है कि उन्हें कितने वोट मिलते हैं। क्रेमलिन पर इस बात का दबाव है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग वोटिंग में हिस्सा लें।

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सबसे तगड़े उम्मीदवार मेदवादेव
सबसे तगड़े उम्मीदवार मेदवादेवतस्वीर: AP

रूस में नए राष्ट्रपति के लिए वोटिंग की जा रही है। रूस में 11 टाइमज़ोन है यानी देश के दो अलग अलग कोनों में 11 घंटों तक का फ़र्क है। वोटिंग शनिवार रात शुरू हुई।राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की पसंद दिमीत्री मदवादेव का जीतना पक्का माना जा रहा है लेकिन देखना है कि उन्हें कितने वोट मिलते हैं। रूस में 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों को वोटिंग का अधिकार है और जानकारों का मानना है कि क़रीब 70 फ़ीसदी जनता मेदवादेव को वोट दे सकती है। तीन और उम्मीदवार मैदान में हैं। ख़ुद मेदवादेव ने सुबह मॉस्को में मत डाला और कहा कि वसंत का मौसम वक्त से पहले आ गया है। 42 साल के मेदवादेव पेशे से वकील हैं और समझा जाता है कि वो पुतिन के कामों को आगे बढ़ाएंगे।

रूसी संविधान के मुताबिक़ दो बार राष्ट्रपति बन चुके पुतिन तीसरी बार ये पद नहीं संभाल सकते। उनके क़रीबी साथी मेदवादेव पुतिन को प्रधानमंत्री बनाने को तैयार हैं और समझा जाता है कि असल ताक़त पुतिन के हाथ में ही रहेगी। लेकिन जानकारों का मानना है कि युवा नेता मेदवादेव भी महत्वाकांक्षी हैं और वो कुछ नियमों में बदलाव करेंगे ताकि उन्हें कठपुतली राष्ट्रपति न कहा जाए। मेदवादेव 20 साल से पुतिन के साथ काम कर रहे हैं लेकिन उनके पास पुतिन की तरह ख़ुफ़िया विभाग केजीबी का अनुभव नहीं है।

चुनावों पर नज़र रखने वाली यूरोप की प्रमुख संस्था ऑर्गेनाइज़ेशन फ़ॉर सिक्योरिटी ऐंड कोऑपरेशन इन यूरोप ने चुनावों का बहिष्कार किया है क्योंकि उन्हें पूरे अधिकार नहीं दिए गए थे। फिर भी कुछ अंतरराष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षक हैं। शतरंज की बिसात से राजनीति तक का सफ़र तय करने वाले गैरी कास्परोव पहले ही इस चुनाव में धांधली की आशंका जता चुके हैं, जबकि ज़्यादातर लोगों का मानना है कि चुनाव मेदवादेव को चुनने की सिर्फ़ औपचारिकता है।