रिचर्ड तृतीय की अंतिम यात्रा
ब्रिटिश शहर लेस्टर में एक सरकारी दफ्तर की पार्किंग के नीचे शोधकर्ताओं को हड्डियां मिलीं जो मृत राजा की थीं. वही रिचर्ड जिन्हें शेक्सपीयर ने अपने ऐतिहासिक नाटक में अमर बना दिया. अब उन्हें सम्मान के साथ दफनाया गया है.
रिचर्ड का बुखार
शहर खोये राजा के फिर से मिलने पर जश्न में है. शहर ने पांच दिनों के समारोह के साथ रिचर्ड तृतीय का सम्मान किया है. 15वीं सदी में मरे राजा के अस्थि अवेशेषों को जुलूस निकाल कर शहर के कैथीड्रल में ले जाया गया. इसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया.
पार्किंग के नीचे
ब्रिटिश राजा के अंतिम अवशेष का पांच सदी तक कोई पता नहीं था. 2012 में जब लेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को समाज कल्याण दफ्तर की पार्किंग के नीचे हड्डियां मिलीं तो उन्हें पता नहीं था कि उनके हाथ क्या लगा है. डीएनए टेस्ट से पता लगा कि वे राजा रिचर्ड तृतीय की हैं.
कैसी मौत?
शोधकर्ताओं को रिचर्ड तृतीय (1452-1485) के अवशेष के साथ न तो ताबूत मिला और न ही कफन. तो क्या शक्तिशाली ब्रिटेन के राजा को यूं ही गड्ढे में धकेल दिया गया था या फिर उन्हें मौत के बाद यूं ही दफना दिया गया था? आज इसकी कल्पना भी असंभव लगती है.
युद्धक्षेत्र में मौत
लेकिन रिचर्ड तृतीय ब्रिटेन की गद्दी के लिए दशकों तक चली तथाकथित वार ऑफ रोजेज हार गए थे. रिचर्ड सिर्फ दो साल गद्दी पर रहे. कहा जाता है कि 1485 में बोसवॉथ की लड़ाई में हार के बाद रिचर्ड की लाश को नंगा एक सराय में रखा गया और एक फ्रांसिसकन मोनेस्ट्री में दफना दिया गया.
मौत के बाद चरित्र हत्या
लंबे समय तक रिचर्ड तृतीय को शाही दानव माना जाता था. इसकी वजह शेक्सपीयर भी है जिन्होंने रिचर्ड की मौत के 100 साल बाद अपने नाटक में उन्हें सत्ता हथियाने वाला बताया. ऐसा निष्ठुर जो एक घोड़े के बदले राज बेच देगा. नाटक में उन्हें कुरूप और कुबड़ा भी दिखाया गया है.,
विजेता लिखता है इतिहास
रिचर्ड की एतिहासिक बदनामी की वजह यह थी कि उनकी मौत के बाद ब्रिटेन पर ट्यूडर वंश का शासन हुआ. जब शेक्सपीयर ने अपना नाटक लिखा तो एलिजाबेथ प्रथम गद्दी पर थीं जो हेनरी ट्यूडर की वंशज थी. वे वार ऑफ रोजेज जीते थे और हेनरी सप्तम के नाम से गद्दी पर बैठे.
ऐतिहासिक छवि
इस बीच रिचर्ड तृतीय की ऐतिहासिक छवि बदल गई है. बहुत से इतिहासकारों का कहना है कि रिचर्ड अपने समय के हिसाब से प्रगतिशील थे. उन्होंने लोगों के लिए कानूनी मदद का आरंभिक स्वरूप विकसित किया था. वे न तो बहुत बौने थे और न ही कुबड़े थे.
सत्तालोलुप
अब यह भी पता है कि रिचर्ड ने सत्ता पाने के लिए अपने विरोधियों के साथ निर्मम व्यवहार किया. अपने परिवार के अंदर भी. उनके शुरुआती शिकारों में उनका अपना भाई और भतीजा भी थे. वे बच्चे ही थे जब वे लंदन के टॉवर में लापता हो गए.
अंतिम यात्रा
रिचर्ड तृतीय की मौत के 530 साल बाद बोसवर्थ के युद्धक्षेत्र पर उन्हें सम्मान दिया गया. परेड की वर्दी में सैनिक लकड़ी की गाड़ी पर उनका ताबूत ले जाते हुए. लेस्टर के कैथीड्रल तक ले जाने से पहले वहां उनके सम्मान में एक छोटी प्रार्थना सभा हुई.
याद की संस्कृति
वहां एक छोटी सी प्रतिमा और स्मृति पटल हाउस यॉर्क के अंतिम ब्रिटिश राजा की याद दिलाते हैं. सम्राट के समर्थकों ने उसके सामने उजले गुलाब रख दिए हैं. उजले गुलाब हाउस यॉर्क का प्रतीक थे जबकि लाल गुलाब हाउस लंकैस्टर का प्रतीक थे.
सम्राट को अंतिम विदाई
कैथीड्रल में अतिम फातहे के बाद फिर से मिले राजा को आखिरकार पूरे सम्मान के साथ दफनाया गया. वह सम्मान जो पांच शताब्दी से रिचर्ड तृतीय को नहीं मिल पाया था. एक पुराने राजा को अंतिम शांति मिली.