राष्ट्रपति का शव वारसा लाया गया
११ अप्रैल २०१०लाल उजले राष्ट्रीय झंडे में लिपटे ताबूत को लेने काचिंस्की की बेटी मारता भी हवाई अड्डे गई थी, जिसमें हादसे में पिता के साथ साथ अपनी मां को भी गंवा दिया. राष्ट्रपति भवन ले जाए जाने के दौरान हज़ारों पोलिश नागरिक धीमे धीमे राष्ट्रगान गा रहे थे और ताबूत पर फूल फेंक रहे थे. लाखों लोगों ने रविवार को कैथोलिक बहुल पोलैंड के चर्चों में मृतकों के लिए प्रार्थना की. दोपहर को सारे देश में दो मिनट का मौन रखा गया.
स्मोलेंस्क हवाई अड्डे पर उतरने के दौरान हुई विमान दुर्घटना में राष्ट्रपति लेख काचिंस्की और उनकी पत्नी के साथ और 94 लोग मारे गए थे जिनमें पोलैंड की सरकार , सेना और अर्थजगत के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.
शोक और सदमे में डूबे पोलैंड में इस समय हादसे की ज़िम्मेदारी पर कोई बहस नहीं हो रही है, लेकिन कुछेक राजनीतिज्ञों ने सुरक्षा नियमों के गंभीर उल्लंघन की आलोचना की है. इसके अनुसार इतने सारे प्रमुख राजनीतिज्ञों को एक साथ एक विमान में नहीं बैठना चाहिए था.
उधर विमान के पाइलट के ख़िलाफ़ भी पहले आरोप लगे हैं. रूसी वायुसेना की चेतावनी के बावजूद पाइलट ने घने कुहरे और ख़राब मौसम में विमान उतारने की कोशिश की. रूस के मुख्य जांचकर्ता अलेक्ज़ांडर बास्त्रिकिन ने कहा है कि वॉयस रिकार्डर की जांच के बाद तकनीकी गड़बड़ी की संभावना से इंकार किया है और कहा है कि पाइलट ने दूसरे हवाई अड्डे पर उतरने की सलाह को ठुकरा दिया.
मॉस्को में रूसी और पोलिश विशेषज्ञों ने एक साल दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैकबॉक्स खोला. उससे दुर्घटना के कारणों का सबूत मिलने की उम्मीद है. प्रेक्षक इस संभावना से भी इंकार नहीं कर रहे हैं कि रूसी चेतावनी के बावजूद काचिंस्की ने भी विमान को उतारने का आदेश दिया हो सकता है.
ब्रेसलाउ टेक्निकल इंस्टीच्यूट के विमान विशेषज्ञ टोमाश शुल्त्स का कहना है कि पाइलटों में संभवतः विरोध करने की क्षमता नहीं थी.
शुल्त्स ने एक पुरानी घटना की जानकारी देते हुए कहा कि अगस्त 2008 में काचिंस्की ने एक दूसरे पाइलट को युद्ध के दौरान जॉर्जिया की राजधानी टिफ़लिस में उतरने का आदेश दिया था, लेकिन पाइलट ने उनकी नहीं मानी और विमान अज़रबैइजान में उतारा. लंबी कार यात्रा से वे इतने परेशान थे कि पाइलट को बर्खास्त करवाना चाहते थे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एम गोपालकृष्णन