राजनीति से संगीत का नाता
१८ मई २०१३यूरोप की सबसे बड़ी गायन प्रतियोगिता यूरोविजन सौंग कॉन्टेस्ट शनिवार को 58वीं बार होने जा रही है. इस बार स्वीडन के तीसरे सबसे बड़े शहर मेल्मो में. यूरोविजन के नियम बिलकुल साफ हैं. इस प्रतियोगिता में राजनीति से जुड़े गानों के लिए कोई जगह नहीं है. यूरोविजन खुद को राजनीति से जितना भी दूर रखने की कोशिश करे, पर सच तो यह है कि इसकी शुरुआत अपने आप में ही एक राजनैतिक विचार था.
यूं हुई शुरुआत
1956 में जब पहली बार यूरोविजन का आयोजन किया गया तब स्विट्जरलैंड के लुगानो में हो रही प्रतियोगिता में केवल सात देशों ने हिस्सा लिया. जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, इटली, नीदरलैंड्स, बेल्जियम और लग्जमबर्ग के गायकों ने यहां समा बांधा. 11 ही साल पहले ये सभी देश द्वितीय विश्व युद्ध का झटका झेल चुके थे. यूरोविजन प्रतियोगिता कला के सहारे पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुधारने की एक कोशिश के रूप में शुरू हुई. आज यूरोप भर के 26 देश इसका हिस्सा हैं.
1982 में पहली बार जर्मनी ने इस प्रतियोगिता को जीता. जर्मन गायिका निकोल ने मंच पर जो गाना गया उसका शीर्षक था 'आइन बिस्शन फ्रीडन' यानी थोड़ी सी शांति. दोस्ती, प्यार और विश्व शांति के गाने यूरोविजन में काफी पसंद किए जाते हैं. इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है कि किसी देश की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे.
शब्दों का खेल
2009 में यूरोविजन के निर्णायक मंडल यूरोपियन ब्रॉडकास्टिंग युनियन ने जॉर्जिया को अपनी पसंद का गाना गाने की अनुमति नहीं दी. जॉर्जिया के गायक मॉस्को में मंच पर "वी डोंट वॉना पुट इन" गाना चाहते थे. यहां शब्दों के खेल से पुतिन की आलोचना करने की कोशिश थी. ऐसा यूरोविजन में पहली बार नहीं हुआ. इससे पहले भी यूक्रेन की गायिका आंद्रेय डानिल्को ने अपने गाने में 'रशिया गुडबाय' कहने की कोशिश की थी.
इसी तरह 1998 में जब इज्राएल की ट्रांसजेंडर गायिका डाना ने यूरोविजन में हिस्सा लिया तो उनके देश में हंगामा मच गया. लेकिन डाना का मंच तक पहुंचना एलजीबीटी कहलाए जाने वाले तबके के लिए मनोबल बढाने वाला था. दरअसल डाना ने अपना लिंग बदलवाया हुआ था. परालैंगिक, समलैंगिक और किन्नरों ने यूरोप भर में डाना के मंच पर पहुंचने का जश्न मनाया.
2009 में जब रूस में यूरोविजन का आयोजन हुआ तब समलैंगिक एक बड़ी परेड की तैयारी में लग गए. हालांकि पुलिस ने ऐसा होने नहीं दिया. रूस के लिए एक अच्छा शो करवाना इज्जत का सवाल था. राष्ट्रपति पुतिन तो खुद ही कार्यक्रम की रिहर्सल के दौरान मौजूद रहे.
मानवाधिकारों पर ध्यान
जर्मनी के नेता भी इससे दूर नहीं रह सके हैं. 2010 में जब लेना मायर लांडरूट ने प्रतियोगिता जीती तब क्रिस्टियान वुल्फ खुद उनका स्वागत करने हवाई अड्डे पहुंचे. हालांकि वह इसके कुछ महीने बाद ही जर्मनी के राष्ट्रपति बने.
यूरोविजन के कारण केवल राजनेता ही नहीं, पूरी सरकारें भी कई बार चपेटे में आई हैं. पिछले साल जब अजरबैजान की राजधानी बाकू में यूरोविजन का आयोजन हुआ तब भी काफी बवाल हुआ. लोगों को इस बात से शिकायत थी कि ऐसे देश में प्रतियोगिता करवाई जा रही है जहां लगातार मानवाधिकार हनन होता आया है. हालांकि अजरबैजान के हालात में कोई तबदीली नहीं आई, लेकिन मीडिया यूरोविजन के बहाने दुनिया के सामने मानवाधिकार के मुद्दे उठा पाया. ऐसे में भले ही प्रतियोगिता का नारा राजनीति से दूर रहने का हो, लेकिन हकीकत तो यही है कि यह राजनीति से अछूता नहीं रह सकता.
रिपोर्ट: आंद्रेयास ब्रेनर/आईबी
संपादन: मानसी गोपालकृष्णन