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रजवाड़े बिशप की छुट्टी

२३ अक्टूबर २०१३

अरबों का बंगला और विलासिता भरी जिंदगी के चलते बदनाम हुए जर्मन बिशप की छुट्टी हुई. कैथोलिक चर्च के शीर्ष नेता पोप ने यह फैसला किया. बिशप फ्रांस पेटर टेबार्त्स फान एल्स्ट की पोल भारत यात्रा के बाद परत दर परत खुली.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

हाल ही में जर्मनी की प्रमुख पत्रिका डेय श्पीगल ने बिशप एल्स्ट पर करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. गरीबी के खिलाफ लड़ाई छेड़ने के अभियान के तहत एल्स्ट भारत तो गए लेकिन विलासिता भरे अंदाज में. आरोपों के मुताबिक उन्होंने 'फर्स्ट क्लास' में सफर किया. हालांकि शुरुआत में उन्होंने इससे इनकार किया. लेकिन पत्रकार के पक्के सबूत पेश करने से पता चला कि वो झूठ बोल रहे हैं. फर्स्ट क्लास का टिकट इकोनोमी क्लास की तुलना में आठ से दस गुना महंगा होता है.

इस मामले के सामने आने के बाद जर्मन मीडिया ने बिशप की और गहराई से छानबीन शुरू की. इस दौरान पता चला कि एल्स्ट बेहद विलासिता से जीने वाले शख्स हैं. ऐसी रिपोर्ट आई कि बिशप एल्स्ट ने अपने नए निवास पर 3.1 करोड़ यूरो यानी करीब पौने तीन अरब रुपये खर्चे हैं. महल सरीखे निवास में 15,000 यूरो का बाथटब लगाया, बाग बनाने में भी करीब आठ लाख यूरो फूंक दिए गए.

Bischofssitz in Limburg Tebartz van-Elst
नए निवास में एल्स्टतस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी में सरकार चर्च को पैसा देती है. यह पैसा करदाताओं से आता है. ऐसे में आरोप लगे कि बिशप अपनी विलासिता के लिए जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. एल्स्ट ने शपथ खाकर इन आरोपों से इनकार किया. लेकिन जांच में पता चला कि उन्होंने शपथ के बावजूद झूठ बोला, जर्मनी में यह कानूनन अपराध है. हैम्बर्ग की अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है.

बच्चों के यौन शोषण की वजह से गहरा धब्बा झेल रहे कैथोलिक चर्च की प्रतिष्ठा को इस नए मामले से भी खासा धक्का लगा है. फिजूलखर्ची के आरोप सामने आने के बाद बीते हफ्ते वेटिकन ने लिम्बुर्ग के बिशप को तलब किया. इस बार वो रोम सस्ते टिकट पर गए, उन्होंने पोप फ्रांसिस को रिझाने की भरपूर कोशिश भी की.

लेकिन बुधवार को हुए फैसले से साफ हो गया कि ये कोशिशें बेकार साबित हुईं. इसी साल पद संभालने वाले पोप फ्रांसिस पहले ही साफ कर चुके थे कि चर्च को गुरूर से भरे धर्म अधिकारियों के बजाए मानवीय मूल्यों को बहाल करने का काम करना चाहिए. पोप बनने के बाद एक आम महिला के पैर धोकर पोप फ्रांसिस ने उस पानी को पिया और संदेश दिया कि दुनिया भर में आर्थिक असमानता और इंसानियत के खिलाफ हो रहे संघर्ष को खत्म किया जाना चाहिए. तब ही ये साफ हो चुका था कि अर्जेंटीना से आए पोप फ्रांसिस कैथोलिक गिरजे में बड़ा बदलाव करेंगे. बिशप एल्स्ट की छुट्टी से भी यह बात साफ हो रही है. फिलहाल एल्स्ट को निलंबित किया गया है, लेकिन कैथोलिक चर्च में निलंबन को बर्खास्तगी ही माना जाता है.

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स, डीपीए)

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