रंगों में डूबा जर्मनी
भारतीय खाना, बॉलीवुड फिल्में और योग, ये तीन चीजें विदेशों में बेहद लोकप्रिय हैं. अब रंगों का त्योहार होली भी इस सूची में जुड़ गया है.
रॉक इवेंट जैसा
भारत में होली फागुन के महीने में मनाई जाती है लेकिन जर्मनी में पूरा साल ही कहीं ना कहीं होली मनती रहती है. होली अब किसी बड़े रॉक इवेंट जैसी हो गयी है. नाच गाने और मौज मस्ती से भरपूर जर्मनी में इस साल होली के कुल 14 इवेंट आयोजित हो रहे हैं.
देश भर में
होली वाली इन पार्टियों का धर्म से कोई लेना देना नहीं होता. बस जिस किसी का भी रंगों में डूब जाने का मन हो, वो होली खेल सकता है. गर्मियों में मौसम अच्छा होने के कारण, इवेंट ऐसे प्लान किया जाता है कि लोग अलग अलग शहरों में इसका लुत्फ उठा सकें.
हैम्बर्ग की होली
हाल ही में हैम्बर्ग में होली का जश्न हुआ. ना यहां भांग थी और ना ही अमिताभ बच्चन वाले गाने, बल्कि जर्मन युवा यहां डिस्को बीट्स पर थिरक रहे थे. इस पार्टी में करीब 10,000 लोग शामिल हुए.
जहां देखो पार्टी
गर्मियों के मौसम में पूरे जर्मनी में कई तरह के आयोजन होते हैं. कहीं लोग किसी कार्टून का लिबास पहन कर पार्टी करते हैं, तो कहीं कोई म्यूजिक बैंड लोगों का मनोरंजन करता है. होली की पार्टियां भी इसी तरह के आयोजनों का हिस्सा हैं.
होली का टिकट
इस तरह की पार्टी में शामिल होने के लिए टिकट खरीदने की जरूरत पड़ती है. आम तौर पर एक टिकट करीब 30 यूरो की होती है. इसमें रंग के पांच पैकेट भी मिलते हैं. सफेद कपड़े पहनना चाहें, तो वे भी खरीदे जा सकते हैं.
फिल्म का सीन
होली वाली पार्टियों का हाइलाइट होता है हर घंटे होने वाला काउंटडाउन. हर एक घंटे बाद काउंटडाउन की घोषणा की जाती है, लोग दस से ले कर शून्य तक उल्टी गिनती गिनते हैं और फिर रंगों को हवा में उड़ाते हैं. मैदान में लगे बड़े बड़े पंखे रंगों को चारों ओर बिखेर देते हैं, बिलकुल किसी फिल्म के सीन की तरह.
नया चलन
होली का कॉन्सेप्ट जर्मनी में लाने का श्रेय जाता है यास्पर हेलमन को. 2011 में उन्होंने दिल्ली में लोगों को होली खेलते देखा और इसे जर्मनी लाने का फैसला किया.
बर्लिन से शुरुआत
2012 में पहली बार बर्लिन में होली पार्टी आयोजित की गयी. करीब 3,500 लोगों ने इसमें शिरकत की. तब से हर साल होली के इवेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है.
आटे वाले रंग
जर्मनी में हर चीज पर नियम कायदे होते हैं. रंग कैसा होना चाहिए, इस पर भी. ये रंग आटे के बने होते हैं और लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मास्क पहनें ताकि सांस लेने में दिक्कत ना हो. अपने खरीदे हुए रंग साथ लाने की इजाजत नहीं होती.