यूरोप में ईस्टर मतलब अंडों का दिन
जिस तरह से भारत में बच्चे होली और दिवाली का इंतजार करते हैं, वैसे ही यूरोप में क्रिसमस और ईस्टर का. ईस्टर के दिन ईस्टर बनी यानी खरगोश ढेर सारे तोहफे ले कर आता है.
परंपरा
ईस्टर वैसे तो यीशू के पुनरुत्थान का पर्व है. लेकिन इसके प्रतीक और परंपराएं उतनी धार्मिक नहीं. ईस्टर के रंग बिरंगे अंडे, खरगोश, मेमने सब ईसाई धर्म की बजाए लोकपरंपरा का हिस्सा बन गए हैं.
हरा गुरुवार
कैथोलिक चर्च की सभा में याद किया जाता है कि इसी दिन यीशू ने अपने शिष्यों के साथ रोटी खाई थी और एक ही प्याले से पिया था. यह घटना अक्सर चित्रों में दिखती है या चर्च में गीतों में गाई जाती है.
गुड फ्राइडे
इस दिन यीशू की मृत्यु को याद किया जाता है. इस दिन खास तौर पर मछली खाई जाती है. इसके अलावा "धरती और स्वर्ग" यानी जमीन पर चलने वाले और आसमान में उड़ने वाले जानवरों को नहीं खाया जाता.
ईस्टर के अंडे
धर्म से जुड़ा हो या नहीं लेकिन बिना रंगीन अंडो के ईस्टर का मजा नहीं. परंपरागत रूप से ये अंडे माता पिता छिपाते हैं और बच्चों को इन्हें ढूंढना होता है. ईसाई धर्म में अंडे पुनरुत्थान का प्रतीक हैं.
खरगोश
विज्ञान में यह बेतुकी बात है कि एक खरगोश ईस्टर के अंडे लाता है. लेकिन यह वसंत से जुड़ा है. पहले ऐसे उपहार लाने वाले प्राणियों में मुर्गियां या सारस शामिल थे.
ईस्टर का मेमना
ईसाई धर्म से जुड़ा एक और प्रतीक है भेड़ का. यह बेगुनाह यीशू की यातना दर्शाता है. यह उस घटना की भी याद दिलाता है जब मूसा के नेतृत्व में लोग मिस्र से निकले थे. इस्राएल में लोगों ने मेमने का खून अपने दरवाजों पर लगाया ताकि मौत का फरिश्ता उनकी रक्षा करे.
ईस्टर की मोमबत्ती
ईस्टर की मोमबत्ती से निकलने वाला प्रकाश यीशू के पुनरुत्थान के कारण उनके भक्तों के ज्ञानोदय को दिखाता है. यह यीशू की मौत पर जीत का प्रतीक है.
अलाव
जर्मेनिक जाति के लोगों में भी ईस्टर के अलाव की परंपरा प्रचलित है. आग की लपटें अपनी गर्मी से सर्दियों को भगा देती हैं और बुरी आत्माओं को भी. यह आग सौभाग्य लाने वाली मानी जाती है.
घंटियां
ईस्टर के रविवार को पुनरुत्थान की घोषणा के लिए चर्च की बेल्स बजाई जाती हैं. इस दिन खास प्रार्थनाएं भी आयोजित की जाती हैं.
ईस्टर का पानी
यह परंपरा अब लुप्त सी हो गई है. पुराने जमाने में किसी नदी से युवतियां इस्टर संडे की रात में पानी भर कर लाती थीं. पानी लाते समय चुप रहने से सुंदरता कायम रहती और उर्वरता बढ़ती, ऐसा माना जाता था.
सैर
जिसे लोग सैर के तौर पर लेते हैं, ईस्टर के दिन पैदल चलने की यह परंपरा लंबी सर्दियों के बाद वसंत के आगमन के साथ जुड़ी होती थी. कई चर्च ईस्टर वॉक का आयोजन करते हैं.