यूएन में भारत के खिलाफ इटली
१२ फ़रवरी २०१४रोम में इटली की विदेश मंत्री एमा बोनिनो ने भारत की कार्रवाई को मानवाधिकार का हनन करार देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयुक्त से संपर्क किया गया है. बोनिनो ने देरी का हवाला देते हुए कहा कि भारत की कार्रवाई "आरोपों के अभाव" में हो रही है और ये "स्वतंत्रता को बांधने" वाली है. विदेश मंत्री के हवाले से इटली की समाचार एजेंसी एएनएसए ने कहा है, "मानवाधिकार के उच्चायुक्त ने इस याचिका का स्वीकार करने पर सहमति जतायी है."
इससे पहले मंगलवार को इटली के प्रधानमंत्री एनरिको लेटा ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि उसके अस्वीकार्य कदम का विरोध इटली और यूरोपीय संघ साथ करेंगे. भारत ने मछुआरों की हत्या के आरोपी नौसैनिकों के खिलाफ एंटी पायरेसी लॉ के तहत मुकदमा दर्ज किया है. दोनों नौसैनिकों को 10 साल तक की सजा हो सकती है. इसका खुलकर विरोध करते हुए विदेश मंत्री बेनिनो ने कहा, "हमारे नौसैनिक न तो आतंकवादी हैं और न ही समुद्री डाकू. वो इटली की सरकार से मिली जिम्मेदारी को निभाते हैं."
इटली के नौसैनिकों को फरवरी 2012 में गिरफ्तार किया गया. इटली को उम्मीद थी कि भारत इस मसले को जल्द ही सुलझा लेगा. लेकिन 2012 के आखिर में चुनाव में वोट डालने के लिए घर भेजे गए नौसैनिकों को इटली ने भारत वापस भेजने से इनकार कर दिया. इसके बाद विवाद बिगड़ गया. हालांकि बाद में दोनों सैनिक भारत भेजे गए. भारतीय सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि यह कूटनीतिक मसला है. इसे भारत और इटली की सरकार को कूटनीतिक तरीके से हल करना चाहिए. लेकिन लगातार होती देरी और भारतीय पक्ष की ओर से आए दिन हो रही नई कार्रवाई से रोम नाराज हो रहा है.
अब इटली सख्त कदम उठाने की बात कर रहा है. रोम के कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक इटली भारत के साथ कई समझौतों को रोक सकता है. यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन ने भी कहा कि भारत को कड़ा संदेश देने की जरूरत है. एश्टन के मुताबिक इस मुकदमे का बुरा असर यूरोप की समुद्री डाकुओं से निपटने की रणनीति पर भी पड़ेगा.
ओएसजे/एमजी (पीटीआई)