मोदी के कारण बढ़ी लालू की उम्मीद
९ मई २०१४
बिहार में रामविलास पासवान की लोजपा के साथ गठबंधन कर भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है. भाजपा-जदयू गठबंधन टूटने के बावजूद भाजपा को पिछली बार से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं. भाजपा की बढ़ती संभावना लालू यादव की उम्मीदों को भी ऑक्सीजन दे रही है. भाजपा की अगुआई वाली एनडीए को राज्य में अच्छा समर्थन मिल रहा है. नीतीश कुमार के सोशल इंजीनियरिंग और लालू प्रसाद यादव के माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को तोड़ने के लिए भाजपा नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का सहारा ले रही है.
त्रिकोणीय मुकाबला
राज्य में इस बार लगभग सभी जगहों पर त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबले हो रहे हैं. भाजपा-लोजपा गठबंधन का सामना कांग्रेस-राजद गठबंधन से है. भाजपा ने पिछड़े वर्ग के नेता उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से भी समझौता किया है. भाजपा-लोजपा के कार्यकर्ताओं में भी समन्वय अच्छा बन पड़ा है. कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ताओं में आपसी तालमेल की कमी है इसके बावजूद ज्यादातर जगहों पर गठबंधन मजबूती से विरोधी दलों को चुनौती दे रहा है.
जदयू को नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग का सहारा है. राज्य सरकार की उपलब्धियों के सहारे नीतीश कुमार चुनावी वैतरणी पार करना चाहते हैं. चुनाव में अकेले लड़ रही जदयू के सामने पार्टी नेताओं के बीच अविश्वास और असंतोष किसी संकट से कम नहीं. इसके बावजूद राज्य की सत्ता पर काबिज जदयू को मुकाबले से बाहर नहीं माना जा सकता. नीतीश कुमार द्वारा भाजपा का साथ छोड़ना उनके अपने समर्थकों को भी अच्छा नहीं लगा है. पटना के अलोक वर्मा कहते हैं कि नीतीश सरकार के अच्छे काम के बावजूद उनका वोट भाजपा को जाएगा.
मोदी की आड़ में
कथित मोदी लहर भाजपा-लोजपा और कांग्रेस-राजद की चुनावी रणनीति के मुख्य केंद्र हैं. सारण से चुनाव लड़ रही लालू प्रसाद यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी राज्य में मोदी लहर होने की बात को खारिज करती हैं. उनका कहना है, "बिहार में सिर्फ लालू की लहर है." लालू प्रसाद यादव भी मोदी लहर को नकारते हैं, लेकिन इसी की आड़ में अपने माई समीकरण को फिर से जिंदा करने की कोशिश भी कर रहे हैं. अपरोक्ष रूप से कांग्रेस-राजद गठबंधन भी मोदी लहर को भुनाने की कोशिश कर रहा है.
राज्य में लगभग 16 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस-राजद गठबंधन नरेंद्र मोदी का हौवा खड़ा कर रहा है. लालू यादव भले ही अपनी पुरानी शक्ति हासिल न कर पाएं लेकिन अल्पसंख्यकों का विश्वास कुछ हद तक हासिल करने में कामयाब होते दिख रहे हैं. पाटलीपुत्र संसदीय क्षेत्र के निवासी योगेन्द्र कुमार यादव को लगता है कि यादव समाज पूरी तरह लालू के साथ है. अगर अल्पसंख्यकों और यादवों का एकमुश्त वोट हासिल करने में लालू यादव कामयाब रहते हैं तो भाजपा-लोजपा ही नहीं बल्कि जदयू को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
मतदाताओं का दर्द
राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर कुशासन का आरोप लगा रही हैं. राज्य में बिजली सड़क पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित जनता के लिए भाजपा, कांग्रेस और राजद राज्य की नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही हैं. नीतीश कुमार राज्य में मौजूद समस्याओं के लिए केंद्र सरकार के असहयोग को जिम्मेदार ठहराते हैं. अन्य राज्यों की तरह ही बिहार में भी मतदाता महंगाई से परेशान है. इस बार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोग ज्यादा मुखर हैं. रोजगार की समस्या युवाओं के लिए परेशानी का सबब है. इन सभी मुद्दों पर जाति-समाज-धर्म भारी पड़ रहा है.
भाजपा ने भी मोदी के अलावा जातीय समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा है. नरेंद्र मोदी खुद अपनी जाति को भुनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. पहली बार वोट देने जा रहे छात्र विनय कुमार सिंह को लगता है कि राजनेताओं के भ्रष्ट आचरण के कारण ही देश में कई समस्याएं हैं. केंद्र में सत्ता परिवर्तन को जरूरी बताने वाले विनय कुमार को नहीं लगता कि नेताओं की सोच में कोई परिवर्तन आएगा.
रिपोर्ट: विश्वरत्न श्रीवास्तव
संपादन: महेश झा