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मैं ही हूं कप्तानः बलाक

१४ जुलाई २०१०

जर्मनी के फुटबॉलर माइकल बलाक ने ताल ठोंक कर दावा किया है कि राष्ट्रीय टीम के कप्तान वही हैं. चोटिल बलाक की जगह फिलिप लाम ने वर्ल्ड कप में जर्मन टीम की अगुवाई की और बाद में लाम ने कप्तान बने रहने की इच्छा जताई.

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तस्वीर: AP

लाम की अगुवाई में जर्मनी की फुटबॉल टीम ने वर्ल्ड कप में फीकी शुरुआत की लेकिन हर मैच के बाद टीम का प्रदर्शन बेहतर होता गया और योआखिम लोएव की कोचिंग वाली टीम अर्जेंटीना को हरा कर सेमीफाइनल तक पहुंच गई. तभी लाम ने यह कह कर सबको चौंका दिया कि वह टीम की कप्तानी करते रहना चाहते हैं और अपनी मर्जी से बाजू की पट्टी वापस नहीं करेंगे. इसके बाद टीम सेमीफाइनल मुकाबले में स्पेन से हार गई.

Flash-Galerie Nationalspieler Philipp Lahm
लाम नहीं छोड़ना चाहते कप्तानीतस्वीर: picture-alliance/dpa

लेकिन बलाक ने इस बात को सिरे से ही खारिज कर दिया. जर्मन फुटबॉल लीग लीवरकूजन में शामिल होते वक्त उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए कोई मुद्दा ही नहीं है. कप्तान मैं ही हूं. कोई खिलाड़ी यह अनुरोध नहीं कर सकता कि वह किस पोजीशन पर खेलेगा. ऐसे ही कप्तानी होती है. इसका सम्मान किया जाना चाहिए. एक तरीका होता है."

बलाक ने लाम को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनका बयान गलत मौके पर आया. उन्होंने कहा, "स्थिति तो साफ थी. मैं घायल था. लेकिन मैं ही कप्तान था." बलाक ने कहा कि वह इस बारे में लाम से बात करेंगे, "यह कोई गंभीर बात नहीं है. लेकिन हम इस मुद्दे पर बात करेंगे और आगे की सोचेंगे."

जर्मनी की फुटबॉल टीम में तेजी से घटनाक्रम बदले. लाम की अगुवाई में टीम ने वर्ल्ड कप के आखिरी चार में जगह बना लिया. लेकिन वह स्पेन को नहीं हरा पाई. फिर उसे तीसरे स्थान के लिए उरुग्वे के खिलाफ खेलना था. लाम की जगह कप्तानी बास्टियन श्वान्सटाइगर को दी गई और जर्मनी वह मैच जीत गया. फिर चर्चा इस बात पर चल निकली कि जर्मनी का भविष्य कौन है, लाम या श्वाइनश्टाइगर.

Flash-Galerie Michael Ballack
बात करेंगे लाम सेतस्वीर: AP

फीफा वर्ल्ड कप से ठीक पहले इंग्लिश फुटबॉल लीग चेल्सी के लिए खेलते हुए 33 साल के बलाक को चोट लग गई और वे वर्ल्ड कप से बाहर हो गए. उनकी गैरहाजिरी में टीम के सबसे सफल स्ट्राइकर मीरोस्लाव क्लोजे और फिलिप लाम में चुनाव करना था. टीम मैनेजनमेंट ने छोटे कद के जर्मन मिडफील्डर लाम को चुना, जो पहले भी कुछ मैचों में राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व कर चुके थे. उनकी अगुवाई में जर्मनी की अब तक की सबसे युवा टीम वर्ल्ड कप खेलने गई और अच्छी कामयाबी हासिल की.

इधर, बलाक की इंग्लिश प्रीमियर लीग में चेल्सी की टीम से भी छुट्टी हो गई और उन्हें वापस जर्मनी के फुटबॉल लीग में आना पड़ा. अब वह बुंडेसलीगा में लीवरकूजन से खेलेंगे. उन्होंने इच्छा जाहिर की है कि वह 2012 के यूरो कप तक खेलना चाहते हैं. लेकिन लाम के बयान के बाद विवाद बढ़ गया था. लगता है कि आने वाले दिनों में भी यह पूरी तरह ठंडा नहीं पड़ेगा क्योंकि बलाक देर सवेर रिटायर होंगे और लाम के अलावा दूसरे सितारे भी जर्मनी की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः आभा एम