मैंगलोर हवाई हादसे की जांच के आदेश
२२ मई २०१०भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "मैंगलोर क्रेश की आरंभिक रिपोर्टों से पता लगता है कि चार साल पुराने रन वे या फिर प्लेन में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं थी लेकिन लैंडिग के समय प्लेन रन वे से दो हज़ार फुट आगे उतरा जिसके कारण ये दुर्घटना हुई."
पटेल ने कहा कि पायलट सर्बियाई मूल के ज़ी ग्लूज़ित्सा और को पायलेट एच एस अहलूवालिया नए नहीं थे और मैंगलोर के लिए भी कई बार उड़ान भर चुके थे. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं कि ये जानने के लिए कि एयरपोर्ट पर वाकई में क्या हुआ. "डीजीसीए ने जांच के आदेश दे दिए हैं. एयर इंडिया ने एक दल का गठन किया है जिसका नेतृत्व कार्यकारी निदेशक कर रहे हैं ताकि दुर्घटना के समय के हालात पता लग सकें. डाटा इकट्ठा किया जाए और डीजीसीए की जांच में सहयोग किया जाए."
मैंगलोर हवाई दुर्घटना में प्लेन में सवार 166 लोगों में से केवल 8 ही बच पाए. दुबई से मैंगलोर आने वाला ये हवाई जहाज़ उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें 158 लोगों की मौत हो गई.
यह भारत की सबसे गंभीर हवाई दुर्घटनाओं में एक है. भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने जानकारी दी कि 4 लोगों को हल्की चोटें आई हैं जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं. प्लेन में सवार 160 यात्रियों में 105 पुरुष, 32 महिलाएं और 19 बच्चे थे.
पुलिस ने जानकारी दी है कि भारतीय समय के हिसाब से सुबह 6:30 बजे हुई इस दुर्घटना के बाद 130 शव बरामद कर लिए गए हैं. उड्डयन अधिकारियों के हिसाब से रन वे से उतरता हुआ ये हवाई जहाज़ फेन्स से टकराया और एयर पोर्ट की बाउन्ड्री वॉल से बाहर चला गया. 24 नंबर के रनवे पर प्लेन टचडाउन एरिया से बाहर चला गया.
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के अधिकारी ने जानकारी दी कि एटीसी ने पायलेट को उतरने के लिए उसी समय हरी झंडी दे दी थी जब हवाई जहाज़ टचडाउन से चार मील दूर था. हवा ठीक थी और विजिबिलिटी भी अच्छी थी. दुर्घटना के समय बारिश भी नहीं हो रही थी.
इसके अलावा पायलेटों ने भी लैंडिग के पहले कोई आपात संदेश नहीं भेजा था. प्लेन पूरी तरह से जल गया सिर्फ उसका पिछला पंख बच गया. अब प्लेन के ब्लैक बॉक्स से ही दुर्घटना की वास्तविक और पूरी स्थिति का पता लग सकेगा.
रिपोर्टः एजेसियां/आभा मोंढे
संपादनः महेश झा