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मेरा संघर्ष जनहित से जुड़ा हैः रीता जोशी

२० फ़रवरी २०१२

यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद से ही विवादों ने रीता बहुगुणा जोशी का पीछा नहीं छोड़ा. मुख्यमंत्री मायावती पर बयान देने के बाद उनके घर में आग तक लगा दी गई. रीता को भरोसा है इस बार कांग्रेस सूबे में सबसे आगे रहेगी.

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तस्वीर: DW

30 साल तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुकीं रीता जोशी ने राजनीति समाजवादी पार्टी के साथ शुरू की लेकिन जल्दी ही कांग्रेस का दामन थाम लिया. पिछला चुनाव उन्होंने लखनऊ में लोकसभा के लिए लड़ा और डेढ़ लाख वोट हासिल किए. इस बार विधान सभा के लिए लखनऊ की ही कैंट सीट से किस्मत आजमा रही हैं.

आप किस आधार पर दावा कर रही हैं कि यूपी में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी जबकि पिछले विधान सभा चुनाव में आपकी पार्टी को बस 22 सीटें ही मिली थीं.

देखिये बीएसपी सौ सीटों के अन्दर सिमट जाएगी. बीजेपी 50 से आगे नहीं बढ़ पाएगी. लड़ाई तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की ही है. कांग्रेस की सीटें 200 से ऊपर जाएंगी. आप देख लीजियेगा. लोकसभा के 2009 के चुनाव में भी लोग चार पांच सीटों की बात कर रहे थे. लेकिन 21 सीटें निकलीं थीं न. हम इतना जानते हैं कि हमारा गठबंधन सबसे अधिक सीटें जीतेगा.

किस आधार पर आप ये दावा कर रही हैं. कोई सर्वे या कोई और स्रोत .

Indien Politik Rita Bahuguna Joshi
तस्वीर: DW

देखिये हम सबको भरोसा यूपी की जनता पर है. वह इस सरकार से बुरी तरह से हताश हो चुकी है. भ्रष्टाचार में डूबी इस सरकार का जनता से कोई संवाद ही नहीं बचा. सपा की सरकार के गुंडाराज से लोग पहले ही निराश हो चुके हैं. बीजेपी से तो लोग बहुत पहले से ही आजिज आ चुके हैं. पिछले 20-25 वर्षों में जबसे यहां की सत्ता कांग्रेस के हाथों से निकली है तब से प्रदेश की हालत इतनी खस्ता हो गई है कि लोग अब फिर कांग्रेस की तरफ आस भरी नज़रों से देख रहे हैं.

ये तो आकलन है, आधार क्या है आपके दावे का.

अरे राहुल गांधी जी ने पिछले काफी समय से प्रदेश में बहुत मेहनत की है. दर्जनों स्थानों पर उन्होंने पदयात्रा की है. लाखों लोगों से संपर्क किया है. गरीबों का दुःख दर्द जाना समझा है. बुनकर हों या बुंदेलखंड के किसान, सभी की समस्याओं पर पैकेज दिलवाया है.इससे बड़ी चीज़ कि लोग परिवर्तन चाहते हैं और राहुल के नेतृत्व को स्वीकार कर रहे हैं. पहले, दूसरे चरण में जो मतदान प्रतिशत और उत्साह रहा है उससे खुद ही अंदाज़ा लगा लीजिये.

यानी आप मान रही हैं कि राहुल ही हैं भविष्य के नेता.

निश्चित रूप से हम सब उनके नेतृत्व में विशवास रखते हैं.

अच्छा कांग्रेस आई तो क्या प्राथमिकताएं होंगी सरकार की. पहला काम सरकार क्या करेगी?

प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी को दुरुस्त किया जाएगा.इसका राजनीतिकरण हो गया है. चाहे सरकार सपा की बने या बसपा की, सरकारी मशीनरी उनके इशारों की गुलाम हो चुकी है. इसे ऊपर से नीचे तक ठीक किया जाएगा और हां सबसे पहले बीपीएल सर्वे का काम शुरू किया जाएगा जिसे अकारण ही बंद कर दिया गया है. राज्य सरकार चाहती ही नहीं है कि गरीबों का भला हो इसीलिए पिछले पांच सालों से अधिक समय से यहां सर्वे रोक दिया गया है जबकि बाकि सभी प्रदेशों में हो रहा है. उसी सर्वे के आधार पर केंद्र की सारी योजनाएं लागू होती हैं चाहें वह मनरेगा हो या कोई दूसरी योजना. केंद्र की इन योजनाओं का लाभ गरीबों तक अभी इसीलिए नहीं पहुंच पा रहा है, उसे उन लोगों तक पहुंचाया जाएगा जिनके लिए यह योजना बनी है. मनरेगा, एनएचआरएम जैसी योजनाएं. खाद्य सुरक्षा बिल लागू होने पर उसे भी सही तरीके से अमल में लाया जाएगा.

Indien Politik Rita Bahuguna Joshi
तस्वीर: DW

यूपी विधान सभा का ये चुनाव तीन महिलाओं के इर्द गिर्द घूम रहा है. मुख्यमंत्री मायावती, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की नेता उमा भारती और आप स्वयं, किस तरह अपने को अलग पाती हैं आप.

ये तो आप खुद देखिये कि मैं किस से कहां तक अलग हूं पर मैं ये बताना चाहती हूं कि मायावती और उमा भारती चुनाव में वोट के लिए संघर्ष कर रही हैं. इन लोगों का संघर्ष जनहित में नहीं दिखता. वे तो जो वाणी बोलती हैं उसमें भी राजनीति होती है. पर मैं जो कुछ करती हूँ वह जनहित में होता है. बलात्कार की शिकार महिला के लिये मैं जेल जाती हूं उमा भारती नहीं. जनहित के लिए सड़क पर आन्दोलन करती हूं और किसी से भी लड़ जाती हूं. उमा भारती और मायावती कहां करती हैं संघर्ष ?

आपके कुछ बयानों ने कई बार पार्टी को असमंजस की स्थिति में डाल दिया. अब कैसा महसूस करती हैं उनको याद करके.

ऐसा कुछ नहीं है. सच बोलने से विवाद तो बढ़ता ही है. सच बोलने से कभी घबराना नहीं चाहिए. एक बार जब मेरे वक्तव्य पर बहुत बवाल हुआ तो राहुल गांधी ने मुझे संबल दिया.

इंटरव्यूः एस वहीद, लखनऊ

संपादनः एन रंजन

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