1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मुबारक-वाद के बाद मुबारक-बाद

१२ फ़रवरी २०११

हाथों में झंडे, होठों पर नारे और पांवों तले पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक की तस्वीरें. मिस्र की जनता झूम रही है. लगता है घरों में कोई है ही नहीं. आजाद फिजा क्या होती है, इसका पता आज मिस्र की सड़कों पर टहलकर लगता.

https://p.dw.com/p/10G5v
तस्वीर: AP

मिस्र के लोगों ने एक महाभारत लड़ी. पूरे 18 दिन चले युद्ध के बाद शुक्रवार शाम का सूरज डूबते डूबते 30 साल लंबी गुलामी भी डूब गई. लोग हंस रहे थे, रो रहे थे, उछल रहे थे, गा रहे थे. उन्हें देखकर साफ जाहिर था कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अपनी खुशी का इजहार किया जाए.

NO FLASH Ägypten Proteste
तस्वीर: picture alliance/dpa

जैसे ही उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान ने मुबारक के इस्तीफे का एलान किया, लोग घरों और दफ्तरों से निकलकर सड़कों पर आ गए. उन्होंने अपने दोस्तों को फोन किए. रास्तों से गुजरते अनजान लोगों को रोक रोक कर गले लगाया. सड़कें गाड़ियों से भर गईं और गाड़ियों वाले खिड़कियों में से अपने सिर निकालकर चिल्ला रहे थे ताकि सबको पता चल जाए, आजादी मिल गई है. एक ड्राइवर चिल्लाया, "वो चला गया...वो चला गया...अब सब खत्म."

तहरीर चौक का आलम

18 दिन तक संघर्ष का केंद्र रहे तहरीर चौक पर शुक्रवार शाम को आलम ही और था. एक दिन पहले मुबारक ने जब अपने भाषण में कहा कि वह सत्ता नहीं छोड़ेंगे, तो यहां मातम का सा माहौल था. लोग गुस्से से उबल रहे थे. लेकिन 24 घंटे बाद ही सब बदल गया था. शुक्रवार को तहरीर स्क्वायर पर लोग चिल्ला रहे थे, "लोगों ने सत्ता को उखाड़ फेंका. सिर उठाकर कहो, तुम मिस्र के हो." काहिरा यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 21 साल के मोहम्मद गमाल ने कहा, "अब मिस्रवालों के पास उनकी आजादी है. हमने खौफ की दीवार गिरा दी है. हमने अपने आप को बदल दिया है."

दुनियाभर में जश्न

गमाल की इस खुशी में दुनियाभर के लोग शामिल हैं. मुबारक के इस्तीफे के एलान के बाद कई देशों में मिस्र के दूतावासों के सामने प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों में मिस्र के रहनेवाले ही नहीं बल्कि उन देशों के स्थानीय लोग भी शामिल हुए. लंदन में मिस्र के दूतावास के सामने जमा हुए लोगों में से एक ने कहा, "मुझे मिस्र का वासी होने पर गर्व है. हमने यह कर दिखाया. हमने आजादी हासिल कर ली."

न्यूयॉर्क में काफी लोग मिस्र के झंडे लहराते इधर उधर घूमते नजर आए. उनके हाथों में बैनर्स थे जिन पर लिखा था, "मिस्र के नौजवानो, मुबारक हो. तुम्हारे ख्वाब पूरे हुए." अपने दो छोटे बच्चों के साथ आईं 32 साल की होदा इलिमाम ने कहा, "आखिरकार हम आजाद हैं. हमने बिना खून बहाए खुद को आजाद करा लिया. मुझे इस्लामिक ताकतों के सत्ता में आ जाने का डर नहीं है क्योंकि जिन लोगों ने यह क्रांति की उनके चेहरों को मैं पहचानती हूं. वे नौजवान लोग हैं."

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में लगभग 300 मिस्रवासियों ने मशहूर ब्रांडनबुर्ग गेट पर एक रैली की. यही वह जगह है जहां 21 साल पहले बर्लिन की दीवार गिरने का जश्न मनाया गया था.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः उभ

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें