मुकाबले में जाओ तो आईएस का झंडा लहराओ
६ सितम्बर २०१८इराक के वेटलिफ्टर फारिस-अल-अजीजी अपनी और अपने साथी थार-अल-अली की आपबीती सुनाते हैं, "आईएस चाहता था कि हम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं और आयोजनों में इराक के झंडे की जगह आईएस का झंड लहराएं. रियो जाकर आईएस के शर्त को न मानने का मतलब था, मोसुल में रहने वाले अपने परिवार की जान का जोखिम." अल-अजीजी कहते हैं, इन सब वजहों से हम 2016 में ब्राजील नहीं गए. यह वही वक्त था जब मोसुल, आईएस के कब्जे में था.
अल-अजीजी ने साल 2012 के लंदन पैरालंपिक में रजत पदक जीता था. दोनों वेटलिफ्टरों की उम्र तकरीबन 40 साल है और दोनों ही एथलीट पोलियो से पीड़ित हैं. आज ये दोनों, 2020 में होने वाले टोक्यो पैरालंपिक की तैयारी में जुटे हैं. अल-अली कहते हैं कि पिछले एक दशक में 2016 के रियो गेम्स ही ऐसा आयोजन था, जिसमें उन्होंने हिस्सा नहीं लिया. 2008 के बीजिंग खेल में अल-अली ने कांस्य पदक जीता था.
खंडहरों में प्रशिक्षण
पिछले 15 सालों से इन वेटलिफ्टरों को प्रशिक्षण दे रहें तामेर घानेम कहते हैं, "इराक की पैरालंपिक समिति ने इनकी स्थिति को समझा. साथ ही इन दोनों को बिना किसी पेनल्टी के खेलों से बाहर रहने की छूट दे दी, क्योंकि इनके पास रियो में भाग न लेने का ठोस कारण था."
साल 2014 में आईएस ने इराक के शहर मोसुल पर कब्जा कर लिया था. हालांकि तीन साल बाद इराकी सेना ने मोसुल को अपने नियंत्रण में ले लिया. आईएस के नियंत्रण के समय भी इन एथलीटों ने अपना प्रशिक्षण जैसे-तैसे जारी रखा. 2017 में इराकी सेना के आने के बाद अल-अजीजी हंगरी एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गए. जहां उन्होंने 107 किलोग्राम प्लस कैटेगिरी में स्वर्ण पदक जीता. 2004 में एथेंस में स्वर्ण जीतने वाले अजीजी ने 2006 के एशियन पैरालंपिक में भी स्वर्ण पदक जीता था. अल-अली ने भी कई प्रतियोगिताओं में रजत पदक अपने नाम किया.
आईएस का मोसुल से जाना ही इन एथलीटों के लिए काफी नहीं है. आज मोसुल में कुछ खास नहीं बचा है. शहर में हर जगह मलबे के ढेर नजर आते हैं. ऐसे में एथलीटों के लिए प्रशिक्षण की कोई सही जगह नहीं है. अजीजी ने अपने घर के एक फ्लोर को कामचलाऊ वेटलिफ्टिंग जिम का रूप दे दिया है. वहीं अली के सामने आज अपने बच्चों को खिलाने तक की समस्या है. वह एक सरकारी कॉम्पलेक्स में वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं.
नहीं आता खेल का सामान
सुरक्षा कारणों के चलते मोसुल में फिलहाल खेलों के सामान को भेजने पर प्रतिबंध लगा हुआ है. प्रतिबंधों ने वेटलिफ्टरों की समस्या को और भी बढ़ा दिया है. हालांकि इन दोनों के ट्रेनर को उम्मीद है कि जैसे ही सुरक्षा बेहतर होगी खेल सामानों की खेप मोसुल भी आने लगेगी. फिलहाल ये दोनों वेटलिफ्टर जी-जान से 2020 में टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक की तैयारी में जुटे हैं.
एए/एनआर (एएफपी)