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मुंबई में अनशन पर बैठे अन्ना की नजरें दिल्ली पर

२६ दिसम्बर २०११

भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सशक्त लोकपाल बिल की मांग कर रहे अन्ना हजारे आज से फिर अनशन पर बैठ गए हैं. अनशन मुंबई में है लेकिन सबकी निगाहें दिल्ली पर हैं. संसद में लोकपाल बिल पर आज बहस हो रही है.

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तस्वीर: AP

सरकार को सशक्त लोकपाल बिल के मसले पर कोई रियायत न देते हुए 74 साल के अन्ना ने गरज कर कहा, "हम बीते 25 साल से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं. कांग्रेस के लोगों को लगता है कि यह आंदोलन उनके खिलाफ है. हमें बताएं कि 25 साल में हमने कितनी बार आपके खिलाफ आंदोलन किया."

वायरल इंफेक्शन के बावजूद अन्ना मुंबई में तीन दिन के अनशन पर बैठ रहे हैं. इस बीच सरकार ने अन्ना से कहा है कि वह मंगलवार से अनशन न करे. सरकार के मुताबिक पहले अन्ना को संसद की कार्रवाई देखनी चाहिए, उसके बाद अनशन का फैसला करना चाहिए. संसदीय राज्य मंत्री, कांग्रेस नेता और बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा कि हर किसी को लोकपाल की जिम्मेदारी संसद के ऊपर छोड़ देनी चाहिए. यही बात वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी दोहराई. मुखर्जी के मुताबिक लोकपाल की शक्ल संसद ही तय करेगी.

इस बीच सोमवार को टीम अन्ना के सदस्य और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस की. सांसदों को एक खुला पत्र भेजते हुए उन्होंने कहा चिट्ठी में लिखी गई चार बातों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. अगर मांगें नहीं मानी गई तो सांसदों के आवास का घेराव किया जाएगा. भूषण ने कहा, "चार बदलावों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. अन्य बदलावों के लिए हम आगे लड़ते रहेंगे."

भूषण ने आंदोलन और अन्ना के कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी. वरिष्ठ वकील ने कहा, "अन्ना सांसदों के घर के बाहर धरना देने के लिए 30 दिसंबर को दिल्ली आएंगे. सांसदों में सोनिया गांधी या राहुल गांधी का निवास भी हो सकता है. यह संसद की कार्रवाई पर निर्भर करेगा. अगर ऐसे संकेत मिले कि संसद या सरकार सुधार करने के लिए तैयार है तो धरने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी."

अन्ना को उम्मीद है कि महाराष्ट्र, मध्य और दक्षिण भारत के लोग मुंबई आएंगे. टीम अन्ना को आशा है कि उत्तर भारत के लोग उनकी मुहिम में शामिल होने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान आएंगे. अन्ना ने नेताओं पर आरोप लगाया है कि वे पैसा और सत्ता के खेल में व्यस्त हैं और भ्रष्टाचार से लड़ना नहीं चाहते हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: महेश झा