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मिडिल क्लास परिवारों पर महंगे प्याज की मार

१९ दिसम्बर २०१९

प्याज की कीमतों के अलावा भारत में खाने पीने की चीजों की महंगाई दर तीन साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. खाद्य महंगाई दर नवंबर के महीने में 5.54 फीसदी रही जबकि अक्टूबर में यह 4.62 फीसदी थी.

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hohe Preise für Zwiebeln in Indien
तस्वीर: DW/M. Krishnan

बेमौसम बरसात के कारण भारत के कई हिस्सों में प्याज की फसलें बर्बाद हो गईं, जिसके बाद से ही प्याज की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. महंगाई के कारण प्याज कई भारतीयों की रसोई से गायब होता जा रहा है. महंगे प्याज ने सरकार को घेरने का विपक्ष को सुनहरा मौका दे दिया है. महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में विपक्षी नेता प्याज की माला पहने नजर आने लगे हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक कार्तिक गांगुली कहते हैं, "आम जनता बड़े आर्थिक मुद्दे नहीं समझ पाती है लेकिन प्याज की कीमतों पर सरकार पर भरोसा करने से पहले वह दो बार जरूर सोचेगी. महंगा प्याज सरकार को जरूर परेशानी में ला सकता है."

देश में प्याज के ऊंचे दाम ने पहले से ही केंद्र सरकार पर दबाव बना रखा था, उसके बाद देश में संशोधित नागरिकता कानून पर अलग से बहस छिड़ गई है. भारत के कुछ शहरों में प्याज का दाम 100 रुपये प्रति किलो के ऊपर पहुंच गया है. हाल ही में हुई बेमौसम बारिश से भी प्याज की कीमत आसमान छूने लगी हैं. हालांकि सरकार इस संकट से निपटने के लिए कुछ राज्यों में प्याज सस्ते दरों में बेच रही है साथ ही प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है. इसके अलावा कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए सख्ती से कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार ने तुर्की और मिस्र से भी प्याज मंगाने का फैसला किया है, हालांकि इस खेप के आने में अभी वक्त लगेगा.

Zwiebeln Indien Markt Flash-Galerie
तस्वीर: AP

बेकाबू हुए प्याज के दाम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्याज की बढ़ती कीमतों पर उठे सवालों के जवाब में लोकसभा में कहा था, "मैं बहुत ज्यादा प्याज और लहसुन नहीं खाती हूं. मैं ऐसे परिवार से आती हूं जिसे प्याज से ज्यादा मतलब नहीं है." इस बयान का कई लोगों ने मतलब निकाला कि सरकार प्याज की ऊंची कीमतों को गंभीरता से नहीं ले रही है. महंगा प्याज पहले से ही मौजूद आर्थिक चिंताओं को और बढ़ा रहा है. भारत की आर्थिक विकास दर सितंबर तिमाही में 4.5 फीसदी थी, जो कि जुलाई-सितंबर समयावधि में दर्ज हुई छह साल में सबसे धीमी विकास दर है. आर्थिक सुस्ती के पहले केंद्र सरकार ने ऐसे कई कदम उठाए जिससे अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का लगा, जिसमें नोटबंदी और उसके बाद लागू जीएसटी शामिल है. नोटबंदी लागू करते हुए सरकार ने कालेधन और भ्रष्टाचार को खत्म करने का हवाला दिया था.

प्याज की आसमान छूती कीमतों ने मध्यम वर्ग के परिवारों के साथ-साथ रेहड़ी-पटरी पर खाना बेचने वालों पर भी प्रभाव डाला है. छोटे रेस्तरां भी महंगे प्याज का विकल्प निकाल रहे हैं.  दिल्ली में व्यापारी संघ के नेता सुशील कुमार जैन कहते हैं, "एक औसत मध्यवर्गीय भारतीय प्याज खरीदने से पहले दो बार सोच रहा है." दिल्ली के एक रेस्तरां के मैनेजर महताब वली कहते हैं कि उनके रसोइये मुगल व्यंजनों में प्याज की मात्रा में कटौती कर चुके हैं. वली कहते हैं, "हमारे रेस्तरां के किचन में प्याज अब एक कीमती चीज बन गई है."

एए/आरपी (एपी)

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