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मानसरोवर यात्रा के बीच भारत-चीन सीमा पर तनाव

२८ जून २०१७

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत की चीन से उलझ गई है. शुरुआत मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को रोके जाने से हुई थी लेकिन अब पता चला है कि सिक्किम से लगी सीमा पर भारत व चीनी सेना में भारी तनाव है.

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Indien China Grenzsoldaten Archiv 2008
तस्वीर: Diptendu Dutta/AFP/Getty Images

चीनी सेना के जवानों ने भारतीय सीमा में घुस कर बीते दिनों दो अस्थायी बंकर नष्ट कर दिए थे. उसके बाद दोनों देशों के बीच हुई फ्लैग मीटिंग के बावजूद तनाव जस का तस है. इसी वजह से चीन ने पुल टूटने के बहाने तिब्बत होकर मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों को जाने की अनुमित नहीं दी. तीन दिनों तक सीमा पर इंतजार करने के बाद 47 तीर्थयात्रियों का यह जत्था सिक्किम की राजधानी गंगटोक लौट गया. इस सीमा पर पहले भी अक्सर दोनों पक्षों के बीच झड़पें होती रही हैं.

आसान है मानसरोवर की राह

नाथुला होकर मानसरोवर तक जाने वाली राह उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के मुकाबले आसान है और इसमें समय भी कम लगता है. लिपुलेख होकर यात्रा के पुराने रास्ते से मानसरोवर जाने-आने में 22 दिनों का समय लगता है जबकि दिल्ली से नाथुला होकर यह यात्रा 19 दिनों में पूरी होती है. इस राह पर तीर्थयात्रियों को पैदल भी कम चलना होता है. लिपुलेख के रास्ते में जहां लोगों को दो सौ किमी पैदल चलना होता है वहीं नाथुला के रास्ते पैदल मार्ग महज 35 किमी है. नाथुला से मानसरोवर के करीब तक जाने के लिए बसों का सहारा लिया जा सकता है. जहां तक खर्च का सवाल है वह दोनों तरफ लगभग समान है. नाथुला होकर प्रति व्यक्ति पौने दो लाख रुपए खर्च होते हैं. इस साल लगभग साढ़े तीन सौ यात्रियों ने नाथुला के रास्ते जाने के लिए पंजीकरण कराया था. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बीते 11 जून को ही पहले जत्थे को रवाना किया था.

Indisch-Chinesische Grenze Grenzpass
नाथुला पासतस्वीर: Getty Images

लेकिन बीते सप्ताह सीमा पर भारतीय व चीनी सेना के बीच हुई झड़पों के बाद चीनी अधिकारियों ने 47 यात्रियों को सीमा पार करने की अनुमति देने से मना कर दिया. इन यात्रियों को पहले 19 जून को सीमा पार करना था. लेकिन खराब मौसम की वजह से ऐसा नहीं हो सका. बाद में उन्होंने जब 23 जून को सीमा पार करने का प्रयास किया तो उनको इसकी अनुमति नहीं दी गई. नाथुला सीमा पर तीन दिन तक सेना के शिविरों में रह कर इंतजार करने के बाद ये यात्री अब गंगटोक लौट आए हैं. आगे चल कर अनुमति मिलने की स्थिति में इन लोगों का कोई आर्थिक नुकसान तो नहीं होगा लेकिन गंगटोक में बिना वजह बैठे रहने के कारण उनका समय बर्बाद हो रहा है. अगर चीन की ओर से यात्रा की अनुमति नहीं मिली तो इन लोगों को लगभग 50-50 हजार रुपए का नुकसान झेलना पड़ेगा. अभी यह साफ नहीं है कि उस रकम की भरपाई केंद्र सरकार करेगी या नहीं. लेकिन अनुमति के इंतजार में बैठे इन यात्रियों की चिंता बढ़ती जा रही है.

बढ़ता तनाव

नाथुला में डोका ला सीमा चौकी पर तनाव कोई नया नहीं है. यहां पहले भी कई बार दोनों देशों के बीच झड़पें हो चुकी हैं. हालांकि उनमें किसी तरह की कोई हिंसा नहीं हुई. लेकिन दोनों खेमों में उत्तेजना है. जानकार सूत्रों का कहना है कि सीमा पर चीन की ओर से बनाई जा रही एक सड़क के मुद्दे पर दोनों पक्षों में विवाद शुरू हुआ. भारत ने उस पर अपनी आपत्ति जताई थी. इसके बाद चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए और उन्होंने दो अस्थायी बंकरों को नष्ट कर दिया. डोका ला चौकी भारत, चीन और भूटान की सीमा पर स्थित है.

इससे पहले नवंबर, 2008 में भी चीनी सैनिकों ने दो-तीन बंकरों को क्षति पहुंचाई थी. अबकी चीनी सैनिकों की बढ़त रोकने के लिए भारतीय जवानों ने नियंत्रण रेखा पर मानव श्रृंखला बना ली. वहां चीनी सैनिकों के साथ उनकी धक्का-मुक्की भी हुई. बाद में चीनी सैनिक अपने देश की सीमा में लौट गए. लेकिन तनाव जस का तस है. चीन ने साफ कर दिया है कि सीमा पर तनाव खत्म नहीं होने तक मानसरोवर यात्रियों को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. दोनों देशों ने नाथुला सीमा पर सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां भी तैनात कर दी है. बीते अप्रैल में तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के पूर्वोत्तर दौरे के समय से ही दोनों देशों के संबंधों में खटास आई है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के बाद यह खाई और बढ़ी है. चीन ने उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज पर भारतीय सेना पर चीनी सीमा में घुसने का आरोप लगाते हुए उन सैनिकों को फौरन वापस बुलाने की मांग की है.

दोनों देशों के बीच बातचीत

अब मानसरोवर यात्रा पर दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर जारी है. लेकिन अब तक गतिरोध दूर नहीं हो सका है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा है कि नाथुला होकर मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है. सैन्य सूत्रों का कहना है कि नाथुला सीमा पर पैदा तनाव को कम करने के लिए 20 जून को वहां दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग भी हुई थी. लेकिन मामला नहीं सुलझ सका है. यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि पूर्वी क्षेत्र में नाथुला शायद अकेली ऐसी सीमा है जहां दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के साथ आंखों में आंखें डाल कर बात कर सकते हैं. पहले यह सीमा आम लोगों के लिए बंद थी. बाद में इसे खोला गया. उसके बाद इस राह से मानसरोवर यात्रा भी शुरू की गई. 

अब मानसरोवर यात्रा के मौजूदा सीजन की शुरूआत में ही सीमा पर उपजे तनाव ने इस यात्रा के भविष्य पर भी सवाल खड़ा कर दिया है. केंद्र सरकार ने हालांकि तीर्थयात्रियों को हर किस्म की सहायता का भरोसा दिया है. लेकिन इससे उनकी मुश्किलें शायद ही कम  हों. वैसे भी इन तमाम लोगों का 10-12 दिनों का समय तो बर्बाद हो ही गया है. उसकी भरपाई तो असंभव ही है.

रिपोर्ट: प्रभाकर