मानवाधिकार परिषद का अब साथ नहीं देगा अमेरिका
२० जून २०१८अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से बाहर होने की घोषणा कर दी है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने यूनएचसीआर पर इस्राएल के खिलाफ राजनीतिक पक्षपात के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा, "यह संस्था अपने नाम के अनुरूप काम नहीं करती. अमेरिका ने मानवाधिकार संस्था को अपने काम के ढंग में बदलाव करने के लिए कई मौके दिए."
इसके पहले कई मौकों पर अमेरिका परिषद से बाहर होने की धमकी देता आया है. हेली ने कहा कि परिषद इस्राएल को लेकर पक्षपात का रुख अपनाती है, लेकिन मानवाधिकारों को अनदेखा करने वाले कई राष्ट्र मसलन चीन, क्यूबा, वेनेजुएला आदि इसके सदस्य बने हुए हैं. उन्होंने अमेरिकी रुख स्पष्ट करते हुए कहा, "हमारी प्रतिबद्धताएं हमें मानवाधिकार का मखौल उड़ाने वाले संस्थान के साथ जुड़े रहने की अनुमति नहीं देती."
यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका की ट्रंप सरकार ने ऐसा बड़ा फैसला लिया है. इसके पहले अमेरिका ने पेरिस जलवायु समझौते, यूनेस्को और फिर ईरान परमाणु डील से भी खुद को अलग कर लिया था.
हेली के साथ इस मौके पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पोए भी नजर आए. पोम्पोए ने कहा, "एक वक्त था जब इस संस्था का विस्तृत दृष्टिकोण था लेकिन आज हमें सच्चाई को स्वीकार करने की जरूरत है. आज परिषद मानवाधिकारों की रक्षा में कमजोर साबित हो रही है."
ट्रंप प्रशासन का यह फैसला यूएनएचआरसी प्रमुख जेद राद अल-हुसैन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने अमेरिकी सीमा पर बच्चों को मां-बाप से अलग करने के अमेरिकी सरकार के फैसले को गलत करार दिया था. लेकिन इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई बात नहीं की गई. हेली ने यह भी कहा कि अगर संस्था सुधारों को अपना लेती है तो अमेरिका खुशी-खुशी इसमें दोबारा शामिल हो जाएगा. अमेरिका के इस फैसले की इस्राएल ने तारीफ की है और इस निर्णय को "साहसी" करार दिया.
अमेरिका के इस फैसले पर मानवाधिकार संस्थाओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं. सेव द चिल्ड्रन, फ्रीडम हाउस समेत 12 संस्थाओं ने कहा कि परिषद के काम को लेकर चिंताएं वाजिब थीं लेकिन वे अमेरिका के बाहर होने की वकालत नहीं करतीं. ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक ने कहा, "ट्रंप की चिंताएं इस्राएल की रक्षा करने से जुड़ी हैं."बच्चों को सीमा पर बंदी बनाता अमेरिका
यूएनएचआरसी प्रमुख अल-हुसैन ने ट्विटर पर कहा, "अमेरिका का ये फैसला हैरान करने वाला नहीं, लेकिन निराश करने वाला है. आज कि स्थिति में मानवाधिकारों को लेकर अमेरिका को आगे आना चाहिए न कि कदम पीछे खींचने चाहिए."
हालांकि ट्रंप के फैसले को सही बताने भी कम नहीं. ट्रंप प्रशासन के करीबी माने जाने वाले अमेरिकी थिंकटैंक हेरिटेज फाउंडेशन के मुताबिक, "यूएनएचआरसी दुनिया के कुछ देशों में मानवाधिकारों उल्लघंन पर उदासीन रुख अपनाए हुए हैं." थिंकटैंक से जुड़े एक सीनियर फेलो ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते तो पहले ही परिषद से बाहर हो जाते लेकिन ऐसा न करते हुए बदलावों के लिए अमेरिका ने 18 महीने का वक्त दिया.
47 सदस्यों वाली इस संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की स्थापना साल 2006 में हुई थी. इसकी सदस्यता तीन वर्षों के लिए होती है. परिषद का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में मानवाधिकार मूल्यों की रक्षा करना है. अमेरिका 2009 में पहली बार इस परिषद का सदस्य बना था.
एए/ओएसजे (एएफपी)