माओवादियों ने रिहा किए चारों पुलिसकर्मी
१ अक्टूबर २०१०वरिष्ठ एसपी एसआरपी कलूरी के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है, "चारों पुलिसकर्मियों को सुरक्षित रिहा कर दिया गया है." 19 सितंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 500 किलोमीटर दूर सात पुलिसकर्मियों को अगवा किया गया. इसके दो दिन बाद ही तीन पुलिसकर्मियों के शव बरामद किए गए.
रिहा किए गए पुलिसकर्मियों में एक अधिकारी और तीन कॉन्स्टेबल हैं. उन्हें बीजापुर जिले में कुछ स्थानीय मीडिया कर्मियों के हवाले किया गया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक माओवादियों के वैचारिक नेता और कवि वारावारा राव ने इन पुलिसकर्मियों की रिहाई में अहम योगदान दिया है. उन्होंने माओवादियों से पुलिसवालों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की थी. राव ने यह कहते हुए पुलिसकर्मियों की रिहाई की अपील की कि उनका संबंध गरीब परिवारों से है.
पुलिस ने बताया कि रिहा हुए लोग घने जंगलों से होते हुए टीवी पत्रकारों के साथ लगभग आधी रात को दंतेवाडा शहर पहुंचे. इससे पहले माओवादियों ने अपनी मांगें पूरी न होने पर बुधवार रात तक पुलिसकर्मियों को मार देने की धमकी दी थी. माओवादियों की मांग में उनके खिलाफ चल रहे अभियान को रोके जाने की बात भी शामिल है.
भारत में कुल 626 प्रशासनिक जिलों में से एक तिहाई से ज्यादा माओवादी हिंसा से प्रभावित हैं जिसमें जनवरी से अब तक 943 लोगों की जानें गई हैं. माओवादियों का दावा है कि वे आदिवासी और भूमिहीन किसानों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार