माओवादियों ने फिर ठुकराया बातचीत का प्रस्ताव
१९ मई २०१०बातचीत के प्रस्ताव को नक्सली नेता रामन्ना ने खारिज किया. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में उन्होंने कहा, "हम हथियार नहीं डाल सकते." उनके मुताबिक नक्सलियों ने बातचीत के लिए चिदंबरम के पहले वाले प्रस्ताव का जवाब दिया था, "लेकिन सरकार को हमारे ऊपर भरोसा नहीं है. भारी संख्या में सुरक्षा बल मौजूद हैं और रोजाना उनके अत्याचार जारी हैं."
रामन्ना ने बताया कि सोमवार को दंतेवाड़ा में आम मुसाफिरों को ले जा रही बस पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि उसमें विशेष पुलिस अधिकारी सवार थे. बस में हुए जबरदस्त धमाके के नतीजे में 12 विशेष पुलिस अधिकारियों समेत 35 लोग मारे गए. रमन्ना के मुताबिक, "प्रशासन ने आम लोगों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया, इसलिए वे मारे गए."
इससे पहले गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, "माओवादी कहें, 'हम हिंसा का रास्ता छोड़ते हैं. हम हिंसा रोक देंगे.' वे 72 घंटों के लिए ही हिंसा छोड़ दें. फिर हम मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे. इसके बाद माओवादियों से बातचीत की तारीख और स्थान तय किया जाएगा जिसमें माओवादी अपनी हर बात रख सकते हैं. गृह मंत्री का कहना है कि सीपीआई (माओवादी) ने बातचीत के पहले के प्रस्तावों का कभी "गंभीरता" से जवाब नहीं दिया. जब चिदंबरम से पूछा गया कि क्या संघर्षविराम की अवधि में सुरक्षा बल माओवादियों के खिलाफ अपने सभी अभियान रोक देंगे, तो उन्होंने कहा, "यह भी कोई कहने की बात है."
इस बीच नक्सल समस्या पर राजनीति भी जारी है. कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह इस मुद्दे पर दोहरे मानदंड अपना रही है. पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा, "बीजेपी दोहरी जबान बोल रही है. वे दिल्ली में कुछ और बात करते हैं और छत्तीसगढ़ में कुछ और. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कह चुके हैं कि नक्सल समस्या से निपटने में केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ सरकार का पूरा साथ देगी." अहमद बीजेपी नेता अरुण जेटली के इन आरोपों का जवाब दे रहे थे कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के दूसरे आला नेता नक्सलियों के प्रति "नरम रुख" का समर्थन करते हैं और इसीलिए उनके खिलाफ "आधे मन से" लड़ाई लड़ी जा रही है.
कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता मनीष तिवारी ने बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार इस समस्या से उच्चतम स्तर पर निपट रही है और इसीलिए कोई बयान देते हुए संयम और समझदारी दिखानी चाहिए. जेटली की तरफ से गृह मंत्री को घायल शहीद कहे जाने पर तिवारी ने कहा कि अगर कोई चीजों को सही तरह से नहीं देख पा रहा है तो फिर भला क्या किया जा सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़