महीने भर ढलेंगे खिलाड़ी
२२ अगस्त २०१३ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी ने इस पर बाकायदा रिसर्च कर डाली. बेडफोर्डशर यूनिवर्सिटी का कहना है कि खिलाड़ियों को टूर्नामेंट शुरू होने से चार हफ्ते पहले कतर पहुंचना होगा. फुटबॉल का विश्व कप जून जुलाई में खेला जाता है, जिस वक्त कतर का तापमान 50 डिग्री के आस पास होगा.
यूनिवर्सिटी के खेल विभाग के प्रोफेसर जॉन ब्रेवर का कहना है, "शारीरिक क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता गर्म माहौल में बुरी तरह प्रभावित होंगे." उन्होंने बताया, "हमने अपनी लेबोरेट्री में समान परिस्थितियों में एक फुटबॉल मैच जैसा माहौल बना कर इस बात का अध्ययन किया है."
प्रोफेसर ब्रेवर के मुताबिक नतीजे बहुत चौंकाने वाले नहीं हैं, "हमने पाया कि खिलाड़ियों के शरीर इस परिस्थिति के लिए तैयार हो सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें कम से कम चार हफ्ते का वक्त लगेगा." आम तौर पर विश्व कप फुटबॉल सर्द देशों में खेला जाता है और जून जुलाई में वहां मौसम अच्छा होता है.
बेडफोर्डशर के प्रोफेसर ब्रेवर इंग्लैंड के फुटबॉल एसोसिएशन के प्रमुख रह चुके हैं और वह इटली में खेले गए 1990 विश्व कप के दौरान इंग्लैंड की फुटबॉल टीम के गैरखिलाड़ी सदस्य रह चुके हैं. उनका मानना है कि अगर इंग्लैंड को कतर में कुछ अच्छा करना है, तो पूरे देश के फुटबॉल कैलेंडर को उसके अनुसार ढालना होगा, "अगर ऐसा करना है, तो फुटबॉल एसोसिएशन को अपने मैचों पर नजर डालनी होगी. यह तय करना होगा कि इंग्लिश प्रीमियर लीग के मैच सही वक्त पर खत्म हों. उसके बाद इंग्लैंड को एक टीम के तौर पर जुटना होगा और एक साथ कतर जाना होगा, ताकि वहां के माहौल के अनुसार खिलाड़ी खुद को ढाल सकें."
उनका मानना है कि अगर इंग्लैंड अपने खेल में बदलाव करते हुए थोड़ा धीमा खेलना सीख ले, तो फायदा होगा, "आम तौर पर प्रीमियर लीग में तेज रफ्तार फुटबॉल होती है और विश्व स्तर पर 90 मिनट या एक्स्ट्रा टाइम में ऐसा खेलना संभव नहीं है."
हालांकि फीफा ने कतर को 2022 का वर्ल्ड कप आयोजित करने का मौका दे दिया है लेकिन इस पर लगातार बहस चल रही है. बात हो रही है कि कम से कम इसका वक्त बदल दिया जाए और मैच ऐसे वक्त में खेले जाएं, जब वहां मौसम बेहतर होता है. लेकिन यूरोपीय लीग फुटबॉल नहीं चाहेगी कि सर्दियों में विश्व कप हो क्योंकि इससे उनका कैलेंडर गड़बड़ा जाएगा. अक्तूबर में फीफा की अहम बैठक होने वाली है, जिसमें एक बार फिर कतर की मेजबानी पर चर्चा हो सकती है.
एजेए/ओएसजे (एएफपी)