महिला आरक्षण बिल
७ मई २०१०महिला आरक्षण पर प्रसारित अंतरा कार्यक्रम सुना. जहां तक मेरा विचार है महिला आरक्षण बिल अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है. पर केवल बिल पास करने मात्र से ही पुरूष-प्रधान समाज में क्या महिलाएं सुरक्षित हो पाएंगी? केवल बिल पास कराकर ही सरकार अपने कर्त्तव्य की इतिश्री न समझ ले, बल्कि घर से लेकर बाहर तक हर स्थान पर महिलाओं को सम्मान मिले इसके लिए प्रयत्न हो, तभी इस बिल की सार्थकता है.
कुमार जय बर्द्धन, मोती रेडियो श्रोता संघ, वैशाली, बिहार
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महिला आरक्षण विधेयक की बाधाओं पर रिपोर्ट प्रासंगिक रही. मैं स्वयं महिला सशक्तिकरण का समर्थक हूं लेकिन महिलाओं में अभी शिक्षा की काफ़ी कमी है. उत्तराखंड में महिलायें ग्राम प्रधान बनाई गई मगर व्यवहारिक रूप से काम काज प्रधानों के पति / पुरूष रिश्तेदार कर रहे है.
कमलेश कुमार सक्सेना, गाड़ीघाट, कोटद्वार, उत्तराखंड
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महिलाओं के उत्थान, अधिकार और सुरक्षा के बारे में प्रसारित अंतरा कार्यक्रम पसंद आया. वास्तव में महिलाओं ने भी हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा के सिद्ध कर दिया है कि वे किसी भी मामले में पुरूषों से अब पीछे नहीं है, लेकिन आज भी ताकतवर पुरूषों ने उन्हें घर की चौखट के अंदर कैद करके रखा है, उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया जा रहा है. नारियां आज पुरूषों के लिए खिलौना बनकर रह गई है. इन्हें समाज के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए.
एहतेशामुल हक, यूसुफ़पुर(गाज़ीपुर), उत्तर प्रदेश
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आज के सैंकडों वर्ष से दबी आवाज जो चूल्हे-चौकी तक ही सीमित थी अगर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है इससे न केवल महिलाओं का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा बल्कि राष्ट्र निर्माण में भागीदारी का भी अवसर मिलेगा. इसमें परेशान होना और विरोध करना व्यर्थ है.
कुशकेतु मिश्र, शिव प्रसन्न श्रोता संघ, दरभंगा, बिहार
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मेरा मानना है कि किसी को भी कहीं भी आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि हर जगह हर सेवा में नैतिक ईमानदार सत्य का पालन करने वालों का चुनाव करना चाहिए ताकि विश्व फिर से ईमानदारी के विभिन्न फूलों से सज जाये.
राम सकल बौद्ध, सवरेजी, महराजगंज, उत्तर प्रदेश