महारानी एलिजाबेथ की स्टाइल पुरानी
२ जून २०१२सोशल एंथ्रोपोलॉजिस्ट यानी समाज में मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन करने वाली केट फॉक्स अपनी किताब वॉचिंग द इंग्लिशः द हिडन रूल्स ऑफ इंग्लिश बिहेवियर में कहती हैं कि उनका तर्क अकाट्य है. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, फैशन, मुख्य धारा की फैशन या किसी भी और फैशन पर कोई ध्यान नहीं देती. वह वही पुरानी स्टाइल के, खास तरीके के कपड़े पहती हैं. किसी की सोच का कोई ख्याल नहीं करतीं.
एकरूपता और स्थिरता का प्रतीक महारानी का फैशन भी लगता है. महारानी के पहनावे में जो कभी नहीं बदलता वो है, घुटने से हल्की ऊपर वाली ड्रेस, बिलकुल उसी रंग का जैकेट या कोट, मैचिंग हैट, दस्ताने और पर्स. ये या तो एकदम हल्के रंगों में या फिर एकदम लाल, बैंगनी रंग के. साथ में उनका हमेशा वाला मोतियों का हार, और एक डिजाइन वाला पिन या ब्रोच या फिर कोई और गहना.
महारानी के तीन मुख्य टेलर में एक जर्मन हैं. कार्ल लुडविग रेहसे कहते हैं, "अभी भी कभी कभी वह चीजें पहनती हैं जो मैंने उनके लिए सालों पहले बनाई थीं."
1960 के दशक में एक युवा के तौर पर लंदन घूमने गए रेहसे को लंदन इतना पसंद आया कि उन्होंने लंदन में ही बसने की सोच ली. पुरुषों के टेलर रहे रेहसे महिला फैशन में भी अपना योगदान देना चाहते थे. लंदन एक जाने माने क्लोदिंग स्टोर में नौकरी के साथ उन्होंने इंग्लिश सीखी. रेहसे कहते हैं, "लेकिन मैं दिल से महिला फैशन के लिए काम करना चाहता था."
कई मशहूर ब्रांड्स के साथ काम करने के बाद उन्होंने 1988 मार्च में अपनी खुद की दुकान खोली. तब तक वह शाही घराने में अपना नाम जमा चुके थे हालांकि महारानी के साथ काम करने का मौका उन्हें नहीं अभी तक नहीं मिला था. लंदन के बीचों बीच उन्होंने मैरिलबोन इलाके में एक साझेदार के साथ उन्होंने दुकान खोली थी. शहर का अभिजात्य इलाका. इसके बाद उन्हें बकिंघम पैलेस से बुलावा आया कि वह महारानी का नया कलेक्शन तैयार करें. "मैं महारानी से मिला. मैं इतना नर्वस था कि मेरे हाथ पैर कांप रहे थे. लेकिन महारानी की बातचीत से उनकी घबराहट दूर हो गई."
1996 तक सब ठीक चला लेकिन फिर रेहसे के बिजनेस पार्टनर की मौत हो गई. इसके बाद रेहसे के जीवन में एक अहम घटना घटी, "मुझे संदेश मिला कि महारानी मुझसे अकेले में मिलना चाहती हैं." उन्होंने नहीं बताया कि दोनों के बीच क्या बात हुई लेकिन रेहसे कहते हैं कि "उस बातचीत के कारण मुझे आगे बढ़ने की ताकत मिली."
25 साल से महारानी के लिए काम कर रहे रेहसे जानते हैं कि उन्हें क्या पसंद आएगा. रेहसे के पोर्टफोलियो में महारानी की ड्रेस देखने पर बदलाव तो दिखाई देता है लेकिन नहीं के बराबर. वे कहते हैं, "महारानी की स्टाइल समय से परे है. सिर्फ मटेरियल बदलता है."
कई बार अगले साल के कपड़ों के लिए महारानी पहले ही योजना बना लेती हैं कि आने वाली विदेश यात्रा में वह किस तरह के कपड़े पहनना पसंद करेंगी. जैसे कि इस साल डायमंड जुबिली की तैयारी भी पहले ही हो गई थी.
तेजी से बदलते दौर में राजशाही वैसी की वैसी ही है और महारानी के कपड़े भी.
रिपोर्टः आभा मोंढे (डीपीए)
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन