1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

महंगाई का विरोध करने सड़कों पर उतरे इस्राएली

७ अगस्त २०११

इस्राएल में लाखों लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर निकले हैं. मकान और रोजमर्रा की जरूरतों की आसमान छूती कीमतों ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया है.

https://p.dw.com/p/12CTh
तस्वीर: Eldad Menuhin

तेल अवीव और देश के दूसरे हिस्सों में करीब 3 लाख इस्राएली प्रदर्शन करने निकले हैं. राजधानी यरुशलम में भी करीब 30 हजार लोग विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे. इसी तरह दक्षिण में तटवर्ती शहर आश्केलॉन और उत्तर के इलाके भी विरोध प्रदर्शनों की आंच से तप रहे हैं. पुलिस और मीडिया इसे इस्राएल के इतिहास के सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक बता रहे हैं. विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए दर्जनों एंबुलेंस तैनात की गई हैं. मशहूर इस्राएली कलाकार सड़क पर निकले हैं और लोगों के लिए मुफ्त में कार्यक्रम पेश कर रहे हैं. इनमें मशहूर गायक शोल्मो अर्जी भी हैं. शोल्मो ने इस दौरान 'हाउ मच डज इट कॉस्ट अस' भी गाया. इसका मतलब है - हमें कितना खर्च करना पड़ेगा और जो इन प्रदर्शनों के देखते हुए प्रासंगिक भी हो गया है.

Proteste Demonstration Lebensbedingungen Israel 06.08.2011 FLASH-GALERIE
तस्वीर: dapd

जुलाई के मध्य से ही हजारों इस्राएली देश में लगातार ऊपर जा रही मकान की कीमतों और रहन सहन के खर्चे बढ़ने के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. हजारों लोग हर हफ्ते इन प्रदर्शनों में जुड़ते जा रहे हैं. बीती रात हुआ प्रदर्शन अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन साबित हुआ है.

लोगों के उग्र तेवर को देखते हुए वित्त मंत्री यिवाल स्ताइनित्ज ने वचन दिया है कि लोगों के विरोध प्रदर्शन के दौरान उठे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा और जल्दी ही इसके लिए उठाए जाने वाले कदमों का एलान होगा. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने जल्दबाजी में सरकारी पैसे को जरूरत से ज्यादा खर्च करने के खिलाफ चेतावनी भी दी है.

प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतानयाहू ने कहा है कि वह मंत्रिमंडल के सदस्यों से लोगों की समस्या हल करने के लिए उपाय करने को कहेंगे. इनमें प्रमुख रूप से प्रत्यक्ष करों में कमी, मकान निर्माण को धीमा करने वाली प्रक्रियाओं को घटाना और निर्माण के क्षेत्र में एकाधिकार को खत्म कर खुली प्रतियोगिता को बढ़ावा देना शामिल हैं. इसके साथ ही युवा दंपतियों के लिए ऐसी योजना तैयार करने पर भी बात चल रही है जिससे कि वे अपने बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठा सकें.

भरोसे के साथ चेतावनी

विरोध प्रदर्शनों पर नेतानयाहू की उदार, राष्ट्रवादी लिकुड पार्टी के नेता स्ताइनित्ज ने कहा, "यह एक प्रभावशाली तथ्य है. निश्चित रूप से हमें इस पर ध्यान देना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही यह भी ध्यान देने की बात है कि समस्या को हल करने के लिए मकानों की कीमत, और इस्राएल में रोजमर्रा के खर्चों को कम करने की कोशिश के साथ यह भी जरूरी है कि हम बजट को ज्यादा न बढ़ाएं. कम बेरोजगारी और आर्थिक विकास का लक्ष्य हासिल करने भी हमारे लिए जरूरी है. क्योंकि हम देख रहे हैं कि अमेरिका और यूरोप में क्या हो रहा है और हमें ऐसी स्थिति में नहीं जाना है."

Proteste Demonstration Lebensbedingungen Israel 06.08.2011 FLASH-GALERIE
तस्वीर: dapd

इस बीच यह भी खबर आ रही है कि तेल अवीव के बाजार में करीब छह फीसदी की गिरावट के बाद स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार अस्थायी रूप से रविवार को बंद कर दिया गया. इस्राएल का कारोबारी सप्ताह रविवार से ही शुरू होता है. रविवार को बाजार जब खुला तो सामान्य रूप से कारोबार शुरू हुआ लेकिन कुछ ही मिनट के बाद इंडेक्स नीचे गिरने लगा और तब कारोबार बंद करना पड़ा. सबसे प्रमुख टीए 100 इंडेक्स करीब 5.73 फीसदी गिर गया. कारोबार बंद करते वक्त यह 988.24 तक पहुंच गया था. स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के अमेरिका की रेटिंग घटाने के बाद इस्राएल के लिए यह पहला कारोबारी दिन था.

प्रदर्शनों पर मुग्ध मीडिया

इस्राएल की मीडिया ने देश में हुए प्रदर्शनों की जम कर तारीफ की है और कहा है कि जिस तरह से सड़कों पर लोगों की भीड़ प्रदर्शन करने निकली है वह एक 'क्रांति' जिसे सरकार अनदेखा नहीं कर सकती. देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार "येडियट अहारोनोत" ने इस्राएली झंडे के नीले सफेद रंगों में हेडलाइन लगाई है, "एक नया देश- इस्राएल गलियों में."

अखबार के समालोचक नाहुम बारनिया ने उन लाखों लोगों की 'विविधता' और 'सकारात्मकता' को खूब भुनाया है, जो इस्राएल में प्रदर्शन करने निकले हैं. उन्होंने लिखा है, "प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतानयाहू और उनकी कैबिनेट इस शोर को अनसुना नहीं कर पाएगी. इसलिए नहीं क्योंकि वह मानते हैं कि यह उचित है बल्कि इसलिए भी कि इसमें इतनी ताकत है कि सत्ता पर उनकी पकड़ को हिला सकती है."

वामपंथी विचारों वाले अखबार "हारेत्ज" में गिडियोन लेवी ने इन प्रदर्शनों की तुलना इसी साल मिस्र में काहिरा के तहरीर चौक पर होने वाले प्रदर्शनों से की है जिनके बाद राष्ट्रपति मुबारक को सत्ता से हटना पड़ा.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार