मराठी में एमए, तो मिलेगा डबल इंक्रीमेंट
३ सितम्बर २०१०इस प्रस्ताव को पास करने वाली बीएमसी की स्थायी समिति के अध्यक्ष राहुल शेवाले ने कहा, "बीएमसी इस बारे में तुरंत एक सर्कुलर जारी करेगी." जब उनसे पूछा गया कि कितने कर्मचारियों को इस फैसले से फायदा होगा तो शेवाले ने कहा, "हम आंकड़े जुटा रहे हैं."
बीएमसी में विपक्ष के नेता राजहंस सिंह ने सिर्फ मराठी में एमए करने वालों को फायदा पहुंचाने का विरोध किया और कहा कि हिंदी में एमए किए हुए कर्मचारियों को भी इस दायरे में लाया जाए. लेकिन शेवाले का कहना है कि पैनल की बैठक के दौरान सिंह ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं किया. शेवाल के मुताबिक, "वे चुप रहे."
इस विवादास्पद प्रस्ताव का बचाव करते हुए शेवाले कहा कि इस फैसले के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है. उनका कहना है, "इसका मकसद कर्मचारियों को भाषागत दक्षता हासिल करने के लिए प्रेरित करना है. इस तरह बीएमसी की तरफ से राज्य सरकार के दूसरे संस्थानों को मराठी में लिखे गए पत्रों की अशुद्धियों को दूर किया जा सकेगा."
मराठी भाषा और स्थानीय लोगों को हमेशा प्राथमिकता देने की वकालत करने वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पार्षद मंगेश संगाले ने अप्रैल में ही इस प्रस्ताव का समर्थन कर दिया. वैसे इस प्रस्ताव के रास्ते में कोई खास बाधा नहीं आई. शिवसेना और बीजेपी हो या कांग्रेस कोई भी पार्टी खुद को मराठी विरोधी दिखना पसंद नहीं करेगी.
उधर सिंह का कहना है कि हिंदी में स्नातकोत्तर करने वालो को भी दोगुना इंक्रीमेंट मिलना चाहिए ताकि किसी तरह का भेदभाव न रहे. उन्होंने कहा, "अगर बीएमसी ऐसा नहीं करती है तो हम इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे." एक अधिकारी ने बताया कि बीएमएसी एक्ट के तहत निगम को स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने का अधिकार है. उनका कहना है, "अगर स्थानीय प्रशासन स्थानीय भाषा को आगे नहीं बढ़ाएगा, तो फिर कौन यह काम करेगा."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम