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मनमोहन मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कल

११ जुलाई २०११

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर रहे हैं. लेकिन गृह और वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी पुराने मंत्रियों के पास ही रहने की संभावना है. कुछ नए चेहरे लिए जाएंगे तो कुछ को निकाले जाने की

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तस्वीर: UNI

पिछले दिनों कई मंत्रियों के इस्तीफे के बाद ढुलमुल छवि का सामना कर रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए पुनर्गठन अपनी टीम को चुस्त छवि देने का मौका है. एजेंसी रिपोर्टों के अनुसार रेलवे मंत्रालय तृणमूल कांग्रेस के पास ही रहेगा. स्वास्थ्य राज्यमंत्री दिनेश त्रिवेदी को कैबिनेट मंत्री बनाकर रेलवे मंत्रालय दिए जाने की संभावना है. रेलवे मंत्रालय ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हो गया था.

छह महीने में मनमोहन मंत्रिमंडल के दूसरे पुनर्गठन को सोमवार को कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बैठक में आखिरी रूप दिया गया. दोनों नेता पुनर्गठन पर चर्चा के लिए कुल चार बार मिले.

Indien Premierminister Manmohan Singh Korruptionsvorwürfe
तस्वीर: AP

खराब छवि का सामना कर रहे मनमोहन मंत्रिमंडल में छोटा बदलाव न तो निवेशकों को खुश करेगा और न ही सिविल सोसायटी को जिन्हें नए खून को शामिल किए जाने की उम्मीद थी. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों का कहना है कि वित्त, गृह, विदेश और रक्षा मंत्रालयों को कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा. जिन मंत्रियों को पदोन्नत किए जाने की चर्चा है उनमें बेनीप्रसाद वर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुरदास कामत शामिल हैं. रसायन मंत्री श्रीकांत जेना को भी कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की संभावना है. वे 1990 के दशक में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.

समाचार पत्रिका इंडिया टुडे के एडिटोरियल डायरेक्टर एमजे अकबर का कहना है, "ये सचमुच एक ऐसी सरकार का संकेत है जो फैसला लेने की स्थिति में नहीं रह गई है और नहीं जानती है कि उसके हित में क्या है."

अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के दूसरे कार्यकाल के मध्य में अरबों के घोटालों के कारण सरकार की सुधारवादी छवि को धक्का लगा है. उनके मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू कहते हैं, "सिंह की छवि की समस्या है, यदि वे इसे अभी, छह महीने में या एक साल में बदलना चाहते हैं तो उन्हें शुरुआत करनी होगी."

कारों की बिक्री में कमी से लेकर, स्टील के आयात और विदेशी पूंजी निवेश में कमी जैसे संकेतों से इस बात की चिंता बढ़ी है कि उभरते देश आर्थिक धीमेपन का सामना कर सकते हैं. फिर भी 1.2 अरब की आबादी वाले भारत में अर्थव्यवस्था के बहुत सारे इलाके अभी भी अविकसित हैं और स्थानीय तथा विदेशी निवेशक भारत को आनेवाले समय में निवेश का महत्वपूर्ण लक्ष्य मानते हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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