"मछली जल की रानी है..."
कई मछलियां पहाड़ों से समुद्र तक की यात्रा करती हैं और फिर अंडे देने व दम तोड़ने के लिए वापस पहाड़ों में आती हैं. लेकिन बांध जैसे निर्माणों से यह सफर बाधित हो रहा है. इसे बचाने के लिए कुछ दिलचस्प कोशिशें की जा रही हैं.
पुरस्कार विजेता लिफ्ट
तस्वीर में दाहिनी तरफ दिखता ढांचा असल में मछलियों के लिए बनाई गई लिफ्ट है. इसे जलवायु व पर्यावरण का जर्मन इनोवेशन अवॉर्ड मिला. इस फिश एलिवेटर की मदद से निचले हिस्से की मछलियां ऊपर और ऊपर की मछलियां नीचे जा सकती हैं. पानी रोकने के बावजूद यह लिफ्ट मछलियों का सफर जारी रखती है.
ऐसे काम करती है लिफ्ट
जर्मन कंपनी बाउमन हाइड्रोटेक की यह लिफ्ट पानी से ही चलती है. इस दरवाजे की मदद से मछलियां पानी से भरे एक चैम्बर में जाती हैं. फिर दरवाजा बंद होता है और चैम्बर के बाहर पानी भरा जाता है. इससे मछलियों से भरा चैम्बर ऊपर आ जाता है और दरवाजा फिर से खुल जाता है.
पारिस्थिकीय तंत्र के लिए अहम
हिमालय की महाशीर भी खाने की तलाश में काफी नीचे तक यात्रा करती हैं और फिर वापस ऊपर की तरफ आती है. यूरोप और अमेरिका में पाई जाने वाली सैलमन तो समुद्र तक जाती है और फिर अंडे देने वापस पहाड़ों में आती हैं. अगर मछलियों का रास्ता साफ नहीं किया गया तो नदियों का इकोसिस्टम गड़बड़ा जाएगा.
कहां है दिक्कत
नदी में अगर कोई बांध बना दिया जाए और मछलियों के लिए कोई रास्ता न निकाला जाए तो उनकी यात्रा वहीं खत्म हो जाती है. बांध से निकलने वाले पानी के तेज बहाव में अगर एक बार वो नीचे चली जाती हैं तो फिर वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं बचता. ऐसा होने पर ज्यादातर मछलियां मारी जाती हैं.
मछलियों के लिए ट्रेन
मछलियों के सफर को बनाए रखने के लिए मोनोरेल जैसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम हो रहा है. दक्षिण कोरिया का ह्वाशेओन बांध इसका उदाहरण है. 1944 में बने इस बांध में मछलियों को छोटी सी रेल के जरिए एक स्तर से दूसरे स्तर तक लाया जाता है.
बड़ी मदद
मछलियों के लिए बहते पानी के भीतर बनी सीढ़ियां ज्यादा प्राकृतिक होती हैं. अपने सहज स्वभाव के जरिए मछलियां इन्हें आसानी से पार करती हैं. अब इनसे प्रेरणा लेकर मछलियों के लिए रास्ता तैयार करने की कोशिश की जा रही है.
हर दिन 25,000 मछलियां
अगर बांध या रिजर्व बहुत बड़ा और आर्थिक रूप से अहम हो तो मछलियों के लिए ऐसी सीढ़ियां बनाई जा सकती है. जर्मन शहर हैम्बर्ग में एल्बे नदी पर बनाई गई ये सीढ़ियां 550 मीटर लंबी हैं. इनमें लगातार हल्का पानी बहता रहता है. इसकी मदद से मछलियां बांध को पार करती हैं.
घुमावदार सीढ़ियां
आम सीढ़ियों की तुलना में घुमावदार सीढ़ियां काफी कम जगह लेती हैं. अब मछलियों के लिए ऐसी ही घुमावदार सीढ़ियां बनाई जा रही हैं. इनमें मछलियों को चोट भी नहीं आती है.
बड़ा लक्ष्य
उत्तरी जर्मनी के कील पनबिजली स्टेशन के पास ऐसी ही घुमावदार सीढ़ियां बनाई गई हैं. 200 मीटर के दायरे में फैली यह सीढ़ियां 36 पूलों की मदद से मछलियों को 3 फीसदी ऊपर उठाती हैं.
खास मदद की जरूरत
ईल जैसी कई मछलियां कमजोर तैराक होती हैं. वो सीढ़ियों में पानी के तेज बहाव के विरुद्ध बहुत देर नहीं तैर पाती हैं. ऐसे में उनके लिए खास तौर पर रेस्ट स्टेशन बनाए जाने की जरूरत है, ताकि वो बीच बीच में आराम कर आगे की यात्रा जारी रख सकें.