मछलियों के लिए सीढ़ियां
१४ जनवरी २०१३मछलियों के इस्तेमाल के लिए नदी में बनी यूरोप की सबसे बड़ी सीढ़ी हैम्बर्ग के गिस्टहाख्त में है. दक्षिण पूर्वी हैम्बर्ग में एल्बे नदी के किनारे बनी इस सीढ़ी का उद्घाटन सितंबर 2010 में हुआ. उसके बाद से सांडर, कैटफिश, ईल और ट्राउट जैसी मछलियों ने यहां सीढ़ी की चढ़ाई की. यहां से गुजरने वाली दस लाखवीं मछली बरबट थी, 50 सेंटीमीटर लंबी और करीब एक किलो वजन वाली.
नदियां ऊपर से नीचे की ओर बहती हैं. इसके अलावा नदियों के गहन इस्तेमाल और उस पर बने बांध और गेटों की वजह से मछलियों को ऊपर आना मुश्किल हो गया है. इसकी वजह से स्थानीय मछलियां खत्म हो रही हैं. समस्या का हल करने के लिए यूरोप भर में मछलियों के लिए सौ से ज्यादा सीढ़ियां बनाई गई हैं. इन्हें बनाने में लाखों यूरो खर्च होता है लेकिन वे छोटी छोटी सीढ़ियों के जरिए मछलियों को ऊपर जाने का मौका देती हैं.
प्रभावी निर्माण
गीस्टहाख्त की मछलियों की सीढ़ी 550 मीटर लंबी और 16 मीटर चौड़ी है. इसे पार करने के लिए मछलियों को 50 पोखरों से होकर गुजरना पड़ता है. हर पोखर निचले से 9 सेंटीमीटर ऊंची है. कंक्रीट का यह निर्माण नदी के प्राकृतिक प्रवाह जैसा नहीं दिखता, लेकिन मछलियां उससे परेशान नहीं हैं. वे सिर्फ पानी के प्रवाह का ध्यान रखती है. शुरू में एक कृत्रिम प्रवाह उन्हें सीढ़ियों का रास्ता दिखाता है, उसके बाद वे ऊपर की ओर बढ़ते जाते हैं.
ईल मछलियां तैरने में कमजोर होती हैं. इसलिए उन्हें विशेष सीढ़ियों की जरूरत होती है. इसे पानी की सीढ़ियों के बगल में बनाया गया है. ब्रश जैसी संरचना वाली पानी में डूबी सीढ़ियों की मदद से ईल मछलियां आसानी से ऊपर की ओर चढ़ पाती हैं. बीच बीच में आराम की जगह बनाई गई है ताकि थक जाने पर ईल मछलियां आराम कर सकें. इस पूरे संयंत्र को बिजली कंपनी फाटेनफाल ने 2 करोड़ यूरो की कीमत पर बनाया है.
मछलियों की इस सीढ़ी के सबसे ऊपरी ढलान पर हर मछली की गिनती होती है. उसके बाद वे एल्बे नदी के उपरी हिस्से में पहुंच जाते हैं. एप्लायड इकोलॉजी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक एक जाल में उन्हें पकड़ते हैं और उसके बाद इस बात को रिकॉर्ड करते हैं कि कौन सी और कितनी बड़ी मछली ऊपर पहुंची. उसके बाद वे मछली को फिर से पानी में छोड़ देते हैं आजादी में तैरने के लिए.
रिपोर्ट: हन्ना फुक्स/एमजे
संपादन: ए जमाल