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भारत में सामान्य मानसून का पूर्वाभास

१९ अप्रैल २०११

भारत में इस बार सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की गई है. इसकी वजह से कृषि उपज अच्छी होने की संभावना काफी बढ़ गई है. इस वक्त खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ी हुई हैं.

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तस्वीर: AP

भूविज्ञान मंत्री पवन कुमार बंसल ने यह सूचना देते हुए कहा कि दीर्घकालीन औसत की 98 फीसदी के लगभग बारिश होने की संभावना है. साथ ही उन्होंने कहा मानसून शुरू होने से पहले जून में स्थिति की फिर से समीक्षा की जाएगी.

अब तक के आंकड़ों के आधार पर उन्होंने कहा कि भारी या कम वर्षा की संभावनायें अत्यंत कम है.

बारिश अच्छी होने पर उपज में भी वृद्धि होगी और खाद्य मोर्चे पर मुद्रास्फीति से निपटने में सरकार को आसानी होगी. 2009 में भी सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की गई थी. लेकिन बारिश कम होने से कृषि उपजों की कीमतों में भारी वृद्धि हुई.

भारत में बरसात के चार महीनों के दौरान 89 सेंटीमीटर के बराबर बारिश को पिछले पचास साल का औसत माना जाता है. अगर बारिश इसकी 96 से 104 फीसदी के बीच हो तो उसे सामान्य मानसून कहा जाता है.

भारत में सरकारी संस्थाओं की ओर से मानसून का पूर्वाभास किया जाता है. अभी तक देश के 60 फीसदी मतदाता देहाती इलाकों में रहते हैं और नकारात्मक पूर्वाभास का उन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. चुनावों के मद्देनजर यह सत्तारूढ पार्टी के लिए कोई अच्छी बात न होती.

इससे पहले राजकीय कृषि शोध संस्थान की ओर से भी अच्छी बारिश की संभावना व्यक्त की गई थी. मुख्यतः बारिश पर निर्भर कृषि के चलते भारत गेंहू जैसे उपज के मामले में तो आत्मनिर्भर है, लेकिन सूखा पड़ने पर उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में खरीद करनी पड़ती है. मिसाल के तौर पर 2009 में भारत को चीनी का आयात करना पड़ा था.

कृषि उपज अच्छी होने पर सोने के बाजार पर भी उसका असर पड़ता है. भारत में सोने की खपत दुनिया में सबसे अधिक है और उसका 70 फीसदी व्यापार ग्रामीण ग्राहकों के बल पर होता है. भारत के सकल राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि का हिस्सा 14.6 प्रतिशत है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एमजी

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