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भारत में महिला खिलाड़ी की राह मुश्किलः साइना

८ जुलाई २०१०

दुनिया में तीसरे नंबर की बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने भारत की दूसरी महिला ऐथलीटों से अपील की है कि पुरुष प्रधान खेल समुदाय की परंपरा को तोड़ने के लिए जो भी ज़रूरी हो वो त्याग करें.

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तस्वीर: UNI

हैदराबाद में रहने वालीं 20 साल की साइना नेहवाल ने पिछले महीने दूसरी बार इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज का खिताब जीता है. रॉयटर्स से बात करते हुए साइना ने कहा कि भारत में महिला खिलाड़ियों की राह आसान नहीं है और ऊंचाई तक पहुंचना उनके लिए बहुत मुश्किल है. साइना का मानना है, इस देश में महिलाओं के लिए आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है. कारण है रुढ़िवादी विचारधारा और दूसरे सामाजिक अड़ंगे. साइना 2008 पेइचिंग ओलंपिक बैडमिंटन में क्वार्टर फाइनल तक पहुंच सकने वाली पहली भारतीय महिला थीं.

साइना कहती हैं, "यही कारण है कि बैडमिंटन में चीन, जापान और कोरिया की महिलाएं ज़्यादा हैं. मुझे लगता है कि भारत में महिलाएं मानसिक और शारीरिक तौर पर इतनी मजबूत हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले सकें. ये तो है ही कि इसके लिए प्रतिबद्धता, लक्ष्य और सीखने की बहुत इच्छा होनी चाहिए. पौष्टिक खाने और फिटनेस का भी बहुत ध्यान रखना होता है. जिसका मतलब है कोई फास्ट फूड नहीं और ज़्यादा सलाद और प्रोटीन."

Saina Nehwal indische Badmintonspielerin
मुश्किल है जीवनतस्वीर: AP

अपनी सफलता के लिए साइना माता पिता के आर्थिक कष्ट और कड़ी मेहनत को श्रेय देती हैं. वह कहती हैं, "मैं कई बार अपने पापा के स्कूटर पर ही सो जाती थी. बहुत बार मेरे बैडमिंटन रैकेट खोए हैं. उनमें से कई 10 हज़ार रुपये से भी ज़्यादा के थे. एक बार तो मेरे पिता ने रैकेट खोने की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज करवाई थी."

साइना अपना खेल बेहतर करना चाहती हैं और इस साल के आखिर तक और खिताबों पर कब्ज़ा जमाना चाहती हैं. वह कहती हैं कि जीत के इस सिलसिले को मैं कॉमनवेल्थ खेलों से वर्ल्ड चैंपियनशिप के टाइटल तक ले जाना चाहती हूं और फिर चीन में होने वाले एशियन गेम्स तक भी.

रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम

संपादनः वी कुमार