1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत में अच्छी है इंटरनेट की स्थित

२० अप्रैल २०११

दुनिया भर में मीडिया की आजादी पर नजर रखने वाली संस्था फ्रीडम हाउस की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा इंटरनेट सेंसरशिप मीडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. भारत उन देशों में से है जहां इस तरह की रोक नहीं लगती.

https://p.dw.com/p/10wu9
तस्वीर: picture-alliance/dpa

"अ ग्लोबल असेसमेंट ऑफ इंटरनेट एंड डिजिटल मीडिया" नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल में दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 10 प्रतिशत लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर के हिसाब से यह बहुत कम है. लेकिन भारत की आबादी को देखा जाए तो यह बहुत बड़ा आंकड़ा है. पिछले कुछ साल में लोगों तक मोबाइल फोन की पहुंच भी तेजी से बढ़ी है. करीब 60 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन हैं.

इंटरनेट पर भारतीय भाषाएं

इंटरनेट एंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में करीब आठ करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं. एक अध्ययन के अनुसार 2015 तक यह संख्या 23 करोड़ को पार कर जाएगी. हालांकि अधिकतर लोग साइबर कैफे जा कर ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं. भारत में पश्चिमी देशों की तरह हर घर में फोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं है. लेकिन बड़े शहरों में अब आधे से ज्यादा घरों में इंटरनेट लगा हुआ है. छोटे शहरों और गांव की तुलना में यह 10 गुना ज्यादा है.

Symbolbild Verbot facebook twitter
तस्वीर: DW

साथ ही इंटरनेट पर भारतीय भाषायों की लोकप्रियता भी धीरे धीरे बढ़ रही है. माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ने पिछले कुछ साल में हिंदी, बंगाली, पंजाबी, गुजराती समेत कई भाषाओं में सॉफ्टवेयर निकाले हैं. यहां तक कि अमेरिका की वह कंपनी जो वेबसाइटों के नाम जारी करती है उसने इन भाषाओं में नाम जारी करने की भी अनुमति दे दी है. मतलब यह हुआ कि भविष्य में वेबसाइट के नाम के लिए अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल जरूरी नहीं होगा.

भारत में हद से ज्यादा सख्ती नहीं

सेंसरशिप के मामले भारत में बहुत ज्यादा नहीं देखे गए हैं. सोशल नेट्वर्किंग साइट जैसे फेसबुक, ट्विटर या यू ट्यूब पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है. हाल ही में अरब जगत में राजनीतिक विद्रोह के चलते इंटरनेट पर कड़ी पाबंदियां लगाई गईं. लेकिन भारत में इस तरह की सेंसरशिप देखने को नहीं मिलती.

अश्लीलता के चलते कई साइटों को बंद किया गया, लेकिन राजनैतिक विचारों को प्रकट करने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है. कई बार एसएमएस पर रोक लगाने के मामले सामने आए हैं. जम्मू कश्मीर में कई बार सुरक्षा कारणों से एसएमएस पर रोक लगाई जाती है. इसी तरह जब अयोध्या मामले पर फैसला आना था तब भी सरकार ने कुछ समय के लिए देश भर में एसएमएस पर रोक लगा दी थी.

भारत में पहले इंटरनेट सेंसरशिप के कोई खास नियम नहीं थे. लेकिन 2008 में हुए मुंबई हमलों के बाद से सरकार सतर्क हो गई और इंटरनेट की आजादी पर लगाम कसी गई है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए साइबर कैफे में पहचान पत्र के बिना प्रवेश नहीं मिलता और साइबर कैफे खोलना भी पहले जैसा आसान नहीं रहा. ज्यादातर भारतीयों का भी यह मानना है कि सुरक्षा कारणों से इंटरनेट पर पाबंदियां लगाना सही है.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी