भारत ने चीन से जताई नाराज़गी
२ अक्टूबर २००९माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर से चीन की यात्रा पर जाने वाले लोगों को अलग कागज़ पर वीज़ा दिया जाना राज्य की मान्यता पर सवाल खड़े करने की कोशिश है. रिपोर्टें हैं कि चीन यह दिखाना चाहता है कि वह विवादित जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं मानता है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा है कि भारतीय नागरिकों को वीज़ा देने में भेदभाव नहीं बरता जाना चाहिए और भारत सरकार ने अपनी चिंता चीन सरकार के सामने रख दी है.
इससे पहले चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को भी अलग कागज़ पर वीज़ा देने की बात सामने आई थी. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि सरकार ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है जबकि उसे ये मामला चीन के साथ उठाना चाहिए. बीजेपी ने चीनी दूतावास के इस क़दम की निंदा की है क्योंकि वीज़ा प्रक्रिया में जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों को अन्य भारतीयों से अलग बर्ताव किया जा रहा है. बीजेपी ने कहा है कि सरकार मामले को कम कर के आंक रही है.
इस बीच रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा है कि भारत भी चीन की तरह अपनी रक्षा को मज़बूत करने के लिए पुख़्ता क़दम उठा रहा है. एंटनी के मुताबिक़ चीन की तर्ज़ पर अब भारत भी अपनी क्षमता बढ़ाने में जुटा है. भारतीय रक्षा मंत्री ने माना है कि पहले भारत का रक्षा तंत्र चीन को ध्यान में रखकर अपने आधारभूत ढांचे का विकास नहीं कर रहा था लेकिन हाल के कुछ सालों में भारत ने इस दिशा में गंभीर प्रयास किए हैं.
चीन के साथ कथित घुसपैठ के मुद्दे पर एंटनी ने कहा कि भारत और चीन के बीच हालात सामान्य हैं और दोनों देश अपने मतभेदों को बातचीत के ज़रिए सुलझाना चाहते हैं. पिछले कुछ हफ़्तों से अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख सहित अन्य इलाक़ों में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की ख़बरें मीडिया में छाई रही थी लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया था कि चीन की ओर से घुसपैठ की घटनाओं की संख्या पिछले साल की तुलना में कमोबेश वही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह