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'भारत को बढ़ावा देना अमेरिका के हित में'

२५ जून २०११

चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य ताकत से अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समीकरण बदल रहे हैं. अमेरिकी संसद की एक समिति का मानना है कि भारत की बढ़ती ताकत में सहयोग करना अमेरिका के हित में हैं. पंचवर्षीय योजना की तैयारी.

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तस्वीर: dapd

अमेरिकी संसद की ताकतवर आर्म्ड सर्विस कमेटी ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती वैश्विक रणनीतिक साझेदारी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं को बरकरार रखने के लिए जरूरी है. कानून, समृद्धि, सुरक्षा, लोकतंत्र और आजादी के लिए इंडो-यूएस साझेदारी को जरूरी बताया गया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "यह अमेरिका के राष्ट्रीय हित में है कि सैन्य रिश्तों, हथियारों की बिक्री, द्वि और बहुपक्षीय साझा अभ्यासों के जरिए भारत के विकास में मदद की जाए. दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सैन्य सहयोग की संस्कृति और अंतर-सक्रियता तैयार की जाए."

समिति ने अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से भारत के साथ द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को बढ़ाने के लिए एक पंचवर्षीय योजना मांगी है. पेंटागन को योजना एक नवंबर तक पेश करनी है. आर्म्ड सर्विस कमेटी ने भारतीय और अमेरिकी नौसेनाओं के बीच होने वाले संयुक्त युद्धाभ्यासों की सराहना की है. अभ्यासों को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और उसके बाहर भी स्थिरता, सुरक्षा और मुक्त व्यापार का एक स्तंभ बताया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "हाल में भारत को बेचे गए सैन्य परिवहन विमान, जल-थल परिवहन डॉक, सी किंग हेलीकॉप्टर, काउंटर बैटरी रडार सेट्स और मैरीटाइम सर्विलेंस एयरक्राफ्ट से भारत और अमेरिका को समान रूप से फायदा हुआ है. एक जैसे सैन्य उपकरणों से इंडो पैसिफिक क्षेत्र को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी."

अमेरिकी रक्षा मंत्री से हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विश्व में इंडो-अमेरिकी सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए भी पंचवर्षीय योजना मांगी गई है. इनमें चार इलाकों में संबंध बढ़ाने के प्रस्ताव होंगे. अमेरिका सैन्य व्यापार और सेना के आधुनिकीरण में भारत की मदद करना चाहता है. इसके अलावा आपदा प्रबंधन और बचाव, मानवीय मदद, राष्ट्रीय सुरक्षा, तटीय सुरक्षा, आतंकवाद और पाइरेसी के खिलाफ भारत और अमेरिका के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए सुझाव और सिफारिशें भी मांगी गई हैं. रक्षा मंत्री रॉबर्ट से कहा गया है कि वह भविष्य में भारत को लड़ाकू विमान बेचने के संबंध में संभावनाएं तलाशें.

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य ताकत की वजह से अमेरिका, जापान, भारत और चीन के अन्य पड़ोसियों की चिंता बढ़ने लगी है. पश्चिमी जगत को चीन की सैन्य ताकत का सटीक एहसास भी नहीं है. इन्हीं चिताओं के मद्देनजर अमेरिका, भारत और जापान के बीच जल्द ही उच्च आधिकारिक स्तर की त्रिपक्षीय वार्ता आरंभ होने जा रही है. इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र से जुड़ी नीतियों पर चर्चा की जाएगी.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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