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भारत के गिरते शेयर बाजार से परेशान निवेशक

क्रिस्टीने लेनन
१८ सितम्बर २०१९

अर्थव्यवस्था में सुस्ती के साथ साथ सऊदी तेल संकट और अन्य वैश्विक कारकों ने भारतीय शेयर बाजार को अस्थिर बना दिया है. डूबते-उतरते बाजार में निवेशकों के लाखों करोड़ रूपये डूब चुके हैं.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee

मोदी सरकार सत्ता में सौ दिन पूरे होने पर अपने कामों का हिसाब देते हुए अपनी पीठ खुद ही थपथपा रही है. हालांकि इन्हीं सौ दिनों में देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती की खबरों ने सरकार के जोश में भी सुस्ती लाने का काम किया है. इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान शेयर बाजार में निवेश करने वालों को पहुंचा है. निवेशकों के अब तक लगभग 14 लाख करोड़ रूपये डूब चुके हैं.

भारी बिकवाली का दौर

मोदी सरकार की वापसी से झूमा बम्बई शेयर बाजार का सूचकांक 4 जून को 40 हजार की रिकॉर्ड ऊंचाई को पार कर गया था लेकिन उसके बाद गिरावट का ऐसा दौर शुरू हुआ है जो अब तक जारी है. बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 30 मई के बाद से लगभग 14 लाख करोड़ की कमी आई है. घरेलू और वैश्विक परिस्थितिओं को देखते हुए जानकार बाजार में और गिरावट देख रहे हैं.

दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में शामिल सऊदी अरामको के संयंत्रों पर 14 सितंबर को ड्रोन हमला किया गया. इससे इन संयंत्रों को काफी नुकसान पहुंचा और वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति में पांच फीसदी की अस्थायी कमी आ गई है. स्थिति जल्द सामान्य नहीं होगी तो भारतीय बाजारों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. अगर तेल की कीमतों में वृद्धि अधिक दिनों तक रह जाती है तो इसका सीधा असर तेल के खुदरा विक्रेताओं, पेंट, टायर कंपनियों पर देखने को मिलेगा. इससे जुड़ी कंपनियों के स्टॉक और हल्के हो सकते हैं.

Bombay Stock Exchange
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बाहर लगी स्क्रीन पर शेयर के भाव के साथ साथ टीवी पर प्रधानमंत्री मोदी को देखते आम लोग.तस्वीर: Getty Images/Afp/Punit Paranjpe

विदेशी निवेशक बने बिकवाल

केंद्र सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी एफपीआई पर बजट में सरचार्ज बढ़ा दिया था, इसके बाद विदेशी निवेशकों ने बाजार में भारी बिकवाली की. सरकार ने निवेशकों की नाराजगी दूर करते हुए बढ़ा हुआ सरचार्ज वापस ले लिया है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों की बिकवाली थम नहीं रही है.

जानकार कहते हैं कि विदेशी निवेशकों की हालिया बिकवाली की असली वजह चीन और अमेरिका  के बीच जारी तनाव है. निवेश सलाहकार रितेश कुमार का मानना है कि अमरीका-चीन ट्रेड वॉर में नरमी आने से विदेशी निवेशकों की वापसी हो सकती है क्योंकि  घरेलू बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी सिर्फ बजट में बढ़ाए गए सरचार्ज की वजह से नहीं थी.

घबराए हुए हैं छोटे निवेशक

बाजार में उतार चढ़ाव का सबसे नकारात्मक असर छोटे निवेशकों पर पड़ा है. कई निवेशकों  की  रकम आधी से भी कम हो गयी है. पिछले एक साल में बाजार में उछाल कम और गिरावट ही अधिक आई है. लगातार जारी तेज गिरावट के चलते  छोटे निवेशकों को बाज़ार से निकलने का मौका भी नहीं मिला. शेयर ब्रोकिंग फर्म एंजेल ब्रोकिंग के अमित रमन का मानना है कि रिटेल निवेशक इस समय घबराया हुआ है. इसके चलते वह इक्विटी ही नहीं बल्कि म्यूच्यूअल फंड से भी दूरी बना रहा है. अमित रमन का कहना है कि गिरावट के समय लोग अपना एसआईपी (नियमित अंतराल पर किया जाने वाला निवेश) बंद कर देते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. हर बड़ी गिरावट में निवेश करने वाले पियूष सिंह कहते हैं कि उछाल की उम्मीद में उनका निवेश डूबता चला गया, हर गिरावट को आखिरी गिरावट समझने की उनकी भूल ने उनकी सारी बचत लील ली. 

पिछले पांच साल के दौरान जोरदार उछाल दिखाने वाले ऑटो क्षेत्र पर मंदी की तेज मार पड़ रही है. इस सेक्टर में हाल फिलहाल में निवेश करने वालों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. रिटेल निवेशकों का सबसे चहेता स्टॉक मारुति  पिछले 1 साल में लगभग 25 फीसदी तक गिर चुका है. इस क्षेत्र के कुछ स्टॉक 50 फीसदी से अधिक तक टूट चुके हैं. फार्मा, धातु और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज, एनबीएफसी क्षेत्र के कई स्टॉक्स में निवेशकों ने अपनी आधी पूंजी गंवा दी है. रितेश कुमार कहते हैं कि अपने इसी बुरे अनुभव के चलते लोग अब  शेयर में निवेश को असुरक्षित  मानकर  डरे हुए हैं. वैसे उनके अनुसार, "लंबे समय के निवेशकों के लिए अभी बाजार में बढ़िया मौका है."

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