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भारत की सेना में पहली महिला जवान

२ अक्टूबर २०११

भारतीय सेना में मर्दों के लिए सुरक्षित एक और किले पर महिलाओं ने परचम लहरा दिया है. 35 साल की सापर शांति टिग्गा सेना की पहली महिला जवान बन गई हैं. शारीरिक योग्यता साबित करने के मुकाबलों में पुरुषों को पीछे छोड़ा.

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तस्वीर: AP

भारतीय सेना में मर्दों के लिए सुरक्षित एक और किले पर महिलाओं ने परचम लहरा दिया है. 35 साल की सापर शांति टिग्गा सेना की पहली महिला जवान बन गई हैं. शारीरिक योग्यता साबित करने के मुकाबलों में पुरुषों को पीछे छोड़ा.

सापर शांति टिगा को टेरिटोरियल आर्मी की 969 रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट में शामिल किया गया है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसके बारे में बताया, "महिलाओं को सशस्त्र सेना में केवल गैर युद्धक यूनिटों में अधिकारी के रूप में शामिल किया जाता है. लेकिन टिग्गा एक अलग और विशेष योग्यता के बल पर 13 लाख की क्षमता वाली सेना की पहली महिला जवान बन गई हैं. उन्होंने शारीरिक परीक्षणों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. डेढ़ किलोमीटर की दौड़ में उन्होंने अपने पुरुष सहकर्मी के मुकाबले पांच सेकेंड कम का समय लिया. 50 मीटर की दौड़ उन्होंने केवल 12 सेकेंड में पूर कर ली जो शानदार प्रदर्शन है."

Paris Indische Militärparade
तस्वीर: AP

सपना हुआ पूरा

पश्चिम बंगाल के जलापाईगुड़ी जिले में भारतीय रेल के चालसा स्टेशन पर पॉइंट मैन के रूप में काम करने वाली टिग्गा ने पिछले साल टेरिटोरियल आर्मी में प्रवेश लिया. टिग्गा ने बताया, "2005 में मेरे पति की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर मुझे रेलवे की नौकरी मिली. पिछले साल मुझे टेरिटोरियल आर्मी की रेलवे विंग के बारे में बता चला और मैं उससे जुड़ गई. तब मुझे नहीं पता था कि सेना में किसी महिला ने आज तक अधिकारी से नीचे वर्ग में प्रवेश नहीं किया था. पर यह कोई डराने वाली बात नहीं थी."

प्रवेश प्रशिक्षण शिविर (आरटीसी) के दौरान टिग्गा ने बंदूक चलाने में अपनी कुशलता से इन्स्ट्रक्टर को काफी प्रभावित किया. इसके बाद उन्हें मार्क्समैन की टॉप पोजिशन भी मिली. सेना के अधिकारी ने बताया, "आरटीसी में शारीरिक जांच और दूसरे सभी स्तरों पर शानदार प्रदर्शन के आधार पर टिग्गा को बेस्ट ट्रेनी चुना गया."

टिग्गा बताती हैं कि उनका सपना था सेना की हरी वर्दी पहन कर बंदूक चलाना. वह कहती हैं, "मेरे कुछ रिश्तेदार सेना में हैं और मुझे हमेशा उनसे सेना का हिस्सा बनने की प्रेरणा मिलती थी. शारीरिक जांच में सफल होने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की. मैं जानती हूं कि भारतीय सेना की पहली महिला जवान बन कर मैंने अपने परिवार का गौरव बढ़ाया है."

Indische Rekruten zeigen ihr Können bei einer Rekrutierungsinitiative der indischen Armee in Allahabad
तस्वीर: AP

टेरिटोरियल आर्मी

भारत की टेरिटोरियल आर्मी को ब्रिटिश सरकार ने 1920 में शुरू किया था. भारत की आजादी के बाद 1948 में टेरिटोरियल आर्मी एक्ट पास किया गया. टेरिटोरियल आर्मी में आर्म्ड रेजिमेंट, इनफेंट्री बटालियन, एयर डिफेंस, मेडिकल रेजिमेंट, इंजीनियर्स फील्ड पार्क और इसी तरह की दर्जनों यूनिट हैं. अपनी मर्जी से सेना में शामिल होने वाले लोग योग्यता के आधार पर इनमें शामिल होते हैं. फिलहाल इसके अलग अलग यूनिटों में 40 हजार लोग काम कर रहे हैं. टेरिटोरियल आर्मी नियमित सेना का हिस्सा है और वर्तमान में इसकी भूमिका में नियमित सेना को स्थिर सेवाओं से राहत देना, नागरिक प्रशासन संभालना, प्राकृतिक आपदाओं में मदद करना शामिल है. किसी समुदाय के जीवन पर संकट की स्थिति में जरूरी सेवाओं को बहाल करने में मदद करना, देश की सुरक्षा को खतरा या फिर सेना की जरूरत के हिसाब से यूनिट मुहैया कराना भी टेरिटोरियल आर्मी के जिम्मे है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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