1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत की मुद्रास्फीति एक टाइम बम

१ जुलाई २०११

सारी दुनिया में, या कम से कम यूरोप में ग्रीस के वित्तीय संकट की चर्चा है. लेकिन जर्मन अखबार वेल्ट आम जोनटाग का कहना है कि मुद्रास्फीति के चलते कुछ सालों में भारत भी चिंता का विषय बन सकता है.

https://p.dw.com/p/11nUT
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की पसंदीदा मंजिल है भारततस्वीर: Luke Jaworski

समाचार पत्र का कहना है कि यह देश निवेशकों का प्यारा हो चुका है. तेज आर्थिक वृद्धि जारी है, लगभग चीन जैसी तेजी के साथ. लेकिन...

उसी के साथ कीमतें भी बढ़ रही हैं. इस बीच मुद्रास्फीति की दर 9.1 फीसदी हो चुकी है. मुख्य ब्याज दर इस वक्त सिर्फ 7.5 फीसदी है. यानी अगर कोई कर्ज लेता है तो उसे मुद्रास्फीति की दर से भी कम ब्याज देना पड़ता है. यानी उधार लेकर खर्च करने में फायदा है. पश्चिम के देश ब्याज दर बढ़ाकर इस स्थिति को बदल सकते हैं. लेकिन इसकी उम्मीद नहीं के बराबर है. इस वक्त वे ग्रीस व दूसरी समस्याओं में इस तरह फंसे हैं कि नए विकसित देशों के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं है. लेकिन घाव वहीं पनपते हैं, जहां नजर नहीं जाती है.

दुनिया आपस में जुड़ती जा रही है. अगर सऊदी अरब या दुबई में संकट हो, तो केरल के लोगों के माथे पर शिकन आ जाती है. समाचार पत्र नॉय त्स्युरषर त्साइटुंग में इस सिलसिले में एक रिपोर्ट में कहा गया हैः

Flash-Galerie Indien Familie auf Fahrrad
भारत के बारे में कहा जाता है कि देश तो अमीर है लेकिन जनता गरीब हैतस्वीर: AP

अरब दुनिया में 40 लाख भारतीय नागरिक काम करते हैं, सिर्फ सऊदी अरब में ही 15 लाख, और संयुक्त अरब अमीरत में दस लाख से अधिक. इनमें से बहुतेरे केरल के हैं. रफीक कहते हैं कि यहां अंग्रेजों का राज था, और चूंकि उनके पूर्वज अंग्रेजों के खिलाफ थे, वे बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में नहीं भेजते थे. वे मदरसे में पढ़ाई करते थे. आजादी के बाद कोझीकोडे में नौसिखिए कामगारों की कमी नहीं थी, आर्थिक वृद्धि की गति धीमी थी. रफीक कहते हैं, "हमारी माली हालत खाड़ी के देशों के साथ गहराई से जुड़ी है, वहां संकट आते ही हम उसे महसूस करने लगते हैं." वहां काम करने वाले लोगों के पैसे से ही कोझीकोडे के आलीशान भवन बने हैं.

भारत भले ही धनी न हो, उसके कुछ नागरिक बेहद अमीर हैं. पिछले साल 1 लाख 53 हजार भारतीय नागरिकों के पास दस लाख डॉलर से अधिक धन था. समाचार पत्र फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने त्साइटुंग में कहा गया है कि एक साल के अंदर इनकी तादाद में 20.8 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस प्रकार भारत अब उन देशों में से है, जहां अमीर लोगों की तादाद सबसे अधिक तेजी के साथ बढ़ रही है. इस सिलसिले में मेरिल लिंच की एक रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कहा गया हैः

BdT Pakistan Lebensmittelausgabe in Lahore
भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसता हैतस्वीर: AP

इस रिपोर्ट में पुश्तैनी अमीरों, खुद कमाए धन से बने अमीरों, या डॉक्टरी और वकालत जैसे पेशे में लगे लोगों के बीच फर्क किया गया है. डॉक्टर या वकील बाकी दो वर्गों से कहीं ज्यादा, यानी अपनी आमदनी का दस फीसदी हिस्सा सामाजिक कल्याण की मदों में खर्च करते हैं. सभी वर्गों के बीच एक समानता है, वे पैसे खर्च करते वक्त सबसे पहले अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. छुट्टी मनाने के लिए, या घड़ी, गहने या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट खरीदने के मामले में यही सबसे आगे हैं. इस वक्त इनके पास 45 खरब रुपए हैं. यह रकम सिर्फ पांच साल के अंदर पांच गुना होकर 235 खरब तक पहुंच जाएगी.

संकलन: अना लेमान्न/उभ

संपादन: ए कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें