भारत की नदियों का पानी लगातार घट रहा है
भारत में बरसने वाली एक एक बूंद एक बड़े रिवर बेसिन का हिस्सा है. ऐसी ही असंख्य जलधाराओं की मदद से नदियां एक बड़ा रिवर बेसिन बनाती हैं. लेकिन इंसानी दखल और जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के बड़े रिवर बेसिन सूखने लगे हैं.
तापी नदी बेसिन
तापी या ताप्ती नदी का यह समूचा जल क्षेत्र मध्य भारत का सबसे अहम रिवर बेसिन है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात को पानी देने वाले इस रिवर बेसिन में 10 साल का अनुपात निकालने पर पानी की 81 फीसदी कमी दर्ज की गई. यह नदी बेसिन 65,145 वर्ग किमी में फैला है.
साबरमती नदी बेसिन
21,674 वर्ग किलोमीटर में फैली साबरमती नदी की पूरी जल घाटी में पानी 42 फीसदी घट चुका है. यह रिवर बेसिन गुजरात और राजस्थान में फैला है. अरावली की पहाड़ियों से शुरू होने वाला यह बेसिन गुजरात में खंभात की खाड़ी में खत्म होता है.
कृष्णा बेसिन
ताजा पानी में 55 फीसदी गिरावट देखने वाला कृष्णा बेसिन दक्षिण भारत का बेहद अहम रिवर बेसिन है. 2,58,948 वर्ग किमी में फैला यह बेसिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लिए जीवनधारा का काम करता है. कृष्णा नदी महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट की सहयाद्री पहाड़ियों से फूटती है और बंगाल की खाड़ी की ओर बहती है.
कावेरी बेसिन
दक्षिण भारत की गंगा कही जाने वाली कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक की ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से होता है. अपनी दर्जनों सहायक नदियों की मदद से कावेरी, केरल, पुद्दुचेरी और तमिलनाडु से गुजरती हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है. 10 साल के औसत के आधार पर कावेरी बेसिन में पानी में 45 फीसदी कमी दर्ज की गई.
गंगा बेसिन
गंगा और उसकी सहायक नदियों व जलधाराओं के समूचे तंत्र को गंगा बेसिन कहा जाता है. गंगा रिवर बेसिन पर धरती की सबसे ज्यादा आबादी यानि 65 करोड़ लोग निर्भर हैं. गंगा के बेसिन को भारत और नेपाल की दर्जनों नदियों से पानी मिलता है. लेकिन हाल के बरसों में गंगा नदी के बेसिन में भी 9.25 फीसदी पानी कम हुआ है.