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भारत और बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के क़रीब

११ सितम्बर २००९

भारत और बांग्लादेश के बीच अपराधियों और आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए संधि पर लगभग सहमति हो गई. साथ ही बांग्लादेश ने भरोसा दिलाया है कि वह अपनी ज़मीन का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ नहीं होने देगा.

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बांग्लादेश की विदेश मंत्री ने दिलाया भरोसातस्वीर: DW

प्रत्यर्पण संधि के लिए दोनों देश पिछले चार साल से प्रयास कर रहे थे लेकिन सहमति के नज़दीक बांग्लादेश की विदेश मंत्री दीपू मोनी की चार दिन की भारत यात्रा के दौरान ही पहुंचा जा सका. आशा की जा रही है कि प्रत्यर्पण संधि पर दोनों देशों की ओर से शीघ्र ही हस्ताक्षर किए जाएंगे. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भी इस वर्ष के अंत तक भारत यात्रा पर आने की उम्मीद की जा रही है. उनकी यात्रा के दौरान प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हो सकते हैं.

बांग्लादेश की विदेश मंत्री दीपू मोनी बृहस्पतिवार की शाम नई दिल्ली से ढाका लौट गईं. ढाका के लिए रवाना होने से पहले बांग्लादेश उच्चायोग में पत्रकारों से बात करते हुए दीपू मोनी ने भारतीय नेतृत्व को आश्वस्त किया कि उनका देश किसी भी तरह के आतंकवादी संगठन को भारत के ख़िलाफ़ अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं करने देगा. भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, संगठित अपराध और नशीली दवाओं की तस्करी के खिलाफ मिलकर काम करने पर भी सहमति बन गई है.

भारत और बांग्लादेश के आपसी संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति होने का एक संकेत यह है कि दीपू मोनी की यात्रा के दौरान भारत बांग्लादेश को नेपाल और भूटान से जोड़ने के लिए अपने क्षेत्र से होकर पारगमन की सुविधा देने के लिए तैयार हो गया है. इसके अलावा वह बांग्लादेश को 100 मेगावाट बिजली देने, व्यापार और संचार सुविधाएं बढ़ाने और सभी अन्य मसलों को सुलझाने पर भी सहमत हो गया है. बृहस्पतिवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि बांग्लादेश भी भारत को चटगांव बंदरगाह के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए राज़ी हो गया है.

अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान बांग्लादेश की विदेश मंत्री दीपू मोनी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, विदेश मंत्री एस एम कृष्णा तथा जल संसाधन एवं संसदीय कामकाज मंत्री पवन कुमार बंसल से मुलाक़ात की.

रिपोर्टः कुलदीप कुमार, नई दिल्ली

संपादनः ए कुमार