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भारत, अमेरिका के साथ सुरक्षा समझौता नहीं - ऑस्ट्रेलिया

२ दिसम्बर २०११

ऑस्ट्रेलिया ने इस बात से मना किया है कि वह भारत और अमेरिका के साथ मिल कर सुरक्षा समझौता बनाना चाहता है. संभावित समझौते से चीन को हो सकती है आपत्ति.

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विवाद में फंसे विदेश मंत्री रडतस्वीर: AP

इस हफ्ते एक रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलियाई अखबार फाइनेंशियल रिव्यू ने विदेश मंत्री केविन रड के साथ बातचीत के हवाले से लिखा कि रड तीनों देशों के बीच सुरक्षा समझौते के विचार से सहमत हैं. भारत ने इससे साफ मना कर दिया है और इस बीच रड की प्रवक्ता ने भी इसे एक गलतफहमी कहा है. उन्होंने बताया, "रड एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें ऑस्ट्रेलिया की यूरेनियम नीति में बदलाव को लेकर भारत की प्रतिक्रिया पूछी गई. इसके अलावा कुछ नहीं था."

Der australische Premierminister Kevin Rudd und die indische Präsidentin Pratibha Patil
ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ बेहतर संबंधों की तलाश मेंतस्वीर: UNI

भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में सुरक्षा मुद्दों पर शोध कर रहे संस्थान यानी थिंक टैक्स ने अकसर इस बात पर जोर दिया है कि चीन की दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया में बढ़ती समुद्री ताकत का सामना करने के लिए तीनों देशों को एक होना होगा. अब तक तीनों देशों में से किसी की भी सरकार ने प्रस्ताव को नहीं अपनाया है. अमेरिका ने अपनी तरफ से 2007 में एक प्रस्ताव रखा था जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत, अमेरिका के साथ आते, लेकिन भारत और जापान यह कह कर पीछे हट गए कि इस समझौते से चीन अपने को खतरे में महसूस कर सकता है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस बीच साफ साफ कहा है कि नई दिल्ली में सरकार को इस तरह के समझौते के बारे में कुछ नहीं पता है. ऑस्ट्रेलिया की सत्ताधारी लेबर पार्टी भी जल्द ही यूरेनियम प्रतिबंध को खत्म करने पर वोट करने वाली है. ऐसा होने पर ऑस्ट्रेलिया भारत को यूरेनियम बेच सकेगा और दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधों में भी बेहतरी आएगी.

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दक्षिण चीन सागर में स्प्रैटली द्वीप को लेकर चीन और पड़ोसी देशों का झगड़ातस्वीर: picture-alliance/dpa

उधर चीन ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच बढ़ते सैन्य संबंधों की आलोचना की है और कहा है कि इससे अविश्वास बढ़ेगा और शीत युद्ध के वक्त वाली भावनाएं फिर पैदा हो सकती हैं. चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. 2010 में दोनों के बीच 107 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ. चीन में ऊर्जा की कमी की वजह से चीनी व्यापारी ऑस्ट्रेलिया में प्राकृतिक संसाधन की तलाश में रहते हैं. लेकिन अमेरिका भी ऑस्ट्रेलिया का करीबी दोस्त है. ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी तट पर अमेरिका ने अपनी सेना भी तैनात की है. माना जा रहा है कि दक्षिण चीन सागर और दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन और बाकी देशों के बीच झगड़ों की वजह से अगर तनाव बढ़ जाता है, तो अमेरिका हस्तक्षेप कर सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः एन रंजन

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