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भारतीय सैन्य व्यवस्था में क्या बदलाव लाएगा सीडीएस का नया पद

चारु कार्तिकेय
३१ दिसम्बर २०१९

जनरल बिपिन रावत को भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है. सीडीएस एक चार सितारा जनरल होंगे और उनकी भूमिका होगी भारतीय सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर तालमेल बनाने की.

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Indien Armee Bipin Rawat
तस्वीर: Imago/ZUMA Press

1 जनवरी 2017 से 31 दिसंबर 2019 तक सेना प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत को भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया. जनरल रावत सेना प्रमुख के कार्यभार से मुक्त होते ही सीडीएस का कार्यभार संभाल लेंगे. 

सीडीएस एक चार सितारा जनरल होंगे और उनकी भूमिका होगी भारतीय सेना के तीनों अंगों - थल सेना, वायु सेना और नौ सेना - के बीच बेहतर तालमेल बनाने की. सीडीएस प्रधानमंत्री को सैन्य अभियानों और दीर्घकालिक रक्षा नियोजन और प्रबंधन के विषय में सेना के तीनों अंगों के दृष्टिकोण से सलाह भी देंगे. वे नए सैन्य मामलों के विभाग के मुखिया भी होंगे. उन्हें वेतन सेना प्रमुख के स्तर का ही मिलेगा. सेना प्रमुख की अधिकतम आयु 62 साल की होती है लेकिन सीडीएस की अधिकतम आयु सेना नियमों को संशोधित कर 65 तक कर दी गई है.

भारत में सीडीएस पद के स्थापना को लेकर बातचीत लंबे समय से चलती आई है. पहली बार इसकी स्थापना का प्रस्ताव कारगिल युद्ध के बाद 2000 में बनी कारगिल समीक्षा समिति ने दिया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने 2002 में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की स्थापना की. यह कार्यालय अब सीडीस के सचिवालय के रूप में कार्य करेगा. 

  

विकसित सेनाओं वाले ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों में ऐसा एक पद होता है, लेकिन हर जगह इस पद की शक्तियों और जिम्मेदारियों में फर्क होता है. अमेरिका में जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ समिति के अध्यक्ष का पद काफी शक्तिशाली होता है. वो सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी होता है और राष्ट्रपति का सैन्य सलाहकार होता है. 

भारत में भी चीफ्स ऑफ स्टाफ समिति (सीओएससी) के अध्यक्ष का पद होता है जिस पर तीनों सेवाओं के प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ अधिकारी पदासीन होता है. अब यह पद एक तरह से सीडीएस में विलीन हो जाएगा क्योंकि सीडीएस ही सीओएससी के स्थायी अध्यक्ष होंगे. 

जानकारों का मानना है कि नए सैन्य मामलों के विभाग का गठन और सीडीएस की नियुक्ति दोनों महत्वपूर्ण कदम हैं और इनसे भारत के रक्षा तंत्र को लाभ ही मिलेगा. सैन्य मामलों के समीक्षक और भारतीय सेना में कर्नल रह चुके अजय शुक्ला का मानना है कि ये रक्षा सुधारों को आगे बढ़ाने का एक मौका है. 

कारगिल युद्ध के वेटेरन और "ब्लेड रनर" मेजर डी पी सिंह ने ट्विटर पर कहा कि ये भारतीय सेना के लिए एक नए युग की शुरुआत है.

  

सेवानिवृत्त मेजर जनरल हर्षा ककर का मानना है कि इन कदमों के असली लाभ देखने के लिए हमें धैर्य से काम लेना चाहिए और पहले इस प्रणाली को स्थिर होने देना चाहिए. 

  

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