भविष्य के लिए बेहतर विकल्प
नई पीढ़ी के लिए
वॉरसा में पर्यावरण परिवर्तन पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जानकारों ने माना कि पर्याप्त कोशिशें नहीं की गईं तो आने वाली पीढ़ियों को दुनिया आज से कहीं ज्यादा गर्म मिलेगी. इंटरनेशनल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया की कुल ऊर्जा जरूरतों को अक्षय ऊर्जा से पूरा किया जा सकता है.
CO2 मुख्य चिंता
ऊर्जा के लिए तेल और गैस जलने से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड गैस पर्यावरण परिवर्तन की प्रमुख कारक है. अगर इसी रफ्तार से चिमनियों और गाड़ियों से यह गैस उत्सर्जित होती रही तो इस शताब्दी के अंत तक दुनिया का तापमान 6 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा.
सोचना होगा
जर्मनी परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल से तो मुंह फेर रहा है लेकिन अभी भी पारंपरिक ईंधनों पर उसकी निर्भरता बनी हुई है. (आईपीसीसी) के अनुसार ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने का यही उपाय है कि इन पारंपरिक ईंधनों के उपयोग से जितना हो सके दूर हुआ जाए.
CO2 मुक्त ऊर्जा
जर्मन एयरोस्पेस सेंटर के रिसर्चरों ने पता लगाया कि 2050 में ऊर्जा के स्रोत क्या हो सकते हैं. दुनिया भर में ऊर्जा की कुल जरूरत का 28 फीसदी सौर ऊर्जा से, जियोथर्मल ऊर्जा से 24 फीसदी, 15 फीसदी बायोमास से, 10 फीसदी पवन ऊर्जा और 4 फीसदी पनबिजली से प्राप्त किया जा सकता है.
बदलाव का सामान
परिवर्तन के लिए तकनीक पहले से मौजूद है. भविष्य में सौर ऊर्जा पर निर्भर ऐसे और भी घर दिखेंगे. 59 घरों वाला यह समुदाय अपने इस्तेमाल से ज्यादा बिजली पैदा कर रहा है.
कम ऊर्जा, ज्यादा क्षमता
1968 में बने इस टावर ब्लॉक में हाल ही में नया ऊष्मा अवरोधक और वेंटिलेशन सिस्टम लगाया गया है. इससे ऊर्जा की 80 फीसदी खपत कम की जा सकी है. यह इमारत जर्मन शङर फ्राइबुर्ग में स्थित हैं.
ऊर्जा बचत के कानून
कानूनों के लागू होने से ऊर्जा की खपत कम की जा सकती है. आधुनिक एलईडी लैंप में पारंपरिक लैंपों के मुकाबले खर्च होने वाली ऊर्जा का दसवां हिस्सा ही खर्च होता है. पुरानी तकनीक बल्बों की बिक्री पर ईयू में लगी पाबंदी के बाद से बदलाव काफी तेज हो गई है.
बड़े स्तर पर
इस पवन ऊर्जा केंद्र से जर्मनी के 1900 घरों में इस्तेमाल होने वाली बिजली पैदा होती है. इस तरीके से डेनमार्क में बिजली की 30 फीसदी, जर्मनी में 10 फीसदी और चीन में 3 फीसदी जरूरत पूरी की जा रही है. किसी भी देश में पवन ऊर्जा का बड़े स्तर पर इस्तेमाल विकास की कुंजी की तरह है.
बिना ग्लोबल वॉर्मिंग के विकास
इथियोपिया में CO2 उत्सर्जन के बिना सस्ती ऊर्जा और नई नौकरियों के रास्ते एक साथ खुल रहे हैं. वहां के लोग इस बात को स्वीकार रहे हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकना और सस्ते और टिकाऊ तरीकों से विकास की तरफ बढ़ना बेहद जरूरी है.