भज्जी ले सकता है मेरी जगहः मुरली
७ जुलाई २०१०टेस्ट क्रिकेट में लगभग 800 विकेट लेने वाले मुरलीधरन ने भारत के खिलाफ पहले मैच के बाद टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया है. वह गॉल में आखिरी टेस्ट खेलेंगे. उनका कहना है कि हरभजन के पास उनके रिकॉर्ड की बराबरी का मौका है.
मुरलीधरन ने कहा, "मुझे लगता है कि सिर्फ हरभजन ऐसा कर सकते हैं. मुझे नहीं पता कि उनकी क्या उम्र है और वे कितने दिन और खेल सकते हैं. लेकिन वह एकमात्र गेंदबाज हैं, जो टेस्ट क्रिकेट में यह जगह बना सकते हैं."
मुरलीधरन के नाम 132 टेस्ट मैचों में 792 विकेट हैं और आखिरी टेस्ट में अगर वह आठ विकेट ले लेते हैं तो 800 का आंकड़ा छू लेंगे. जाहिर है यह ऐसा मुकाम है, जहां पहुंच पाना औसत गेंदबाजों के बस की बात नहीं. मुरली कई बार आठ या ज्यादा विकेट ले चुके हैं. दूसरी तरफ 30 साल के हरभजन सिंह के नाम 83 मैचों में 355 विकेट हैं.
मुरली को डर है कि ट्वेन्टी 20 की बढ़ती लोकप्रियता से धीमी गति के गेंदबाजों के लिए आने वाले दिनों में बड़ी समस्या हो सकती है. उनका कहना है, "मौजूदा हालात में टेस्ट क्रिकेट खत्म हो रहा है. एक दिन ऐसा आएगा कि क्रिकेट का अच्छा भविष्य नहीं रहेगा. सिर्फ टी 20 क्रिकेट ही बचेगा. इसलिए धीमी गति के गेंदबाजों के लिए भी बचे रहना मुश्किल होगा."
मुरलीधरन का कहना है कि वह कभी भी रिकॉर्डों का पीछा करते हुए नहीं खेले हैं. हालांकि वनडे में भी उनके नाम सबसे ज्यादा विकेट हैं. उन्होंने 337 वनडे मैचों में 515 विकेट लिए हैं. मुरली कहते हैं, "मैं रिकॉर्डों के पीछे नहीं भागता. मेरे नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड है. लेकिन अगर मैं आखिरी मैच में आठ विकेट ले लेता हूं, तो यह मेरे करियर के आखिरी पड़ाव में अच्छी उपलब्धि होगी. मैं ऐसा एक मैच में कर सकता हूं. नहीं कर पाया, तो कोई बात नहीं."
अपने करियर के बारे में मुरलीधरन ने बताया कि सचिन तेंदुलकर और ब्रायन लारा को गेंद फेंकना उनके लिए सबसे मुश्किल काम था. मुरली के मुताबिक, "मुझे उनके खिलाफ ज्यादा मेहनत करनी पड़ती थी. मुझे इस बात की खुशी है कि मैं आखिरी टेस्ट में सचिन को गेंद फेंक सकूंगा."
दुनिया के सबसे ज्यादा कामयाब गेंदबाज होने के अलावा मुरलीधरन 1996 की उस टीम में भी थे, जिसने वनडे क्रिकेट का विश्व कप जीता था. लेकिन उन्हें कुछ बातों से मायूसी भी है. उनका कहना है, "मुझे मेरे क्रिकेट करियर में सब कुछ मिला. लेकिन मैं भारत, दक्षिण अफ्रीका या ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाया."
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः एम गोपालकृष्णन