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भंवर में फ़ंसा तिब्बत का संघर्ष

२१ नवम्बर २००८

तिब्बत के निर्वासित नेता चीन के प्रति एक नई रणनीति ढूंढ़ने में फ़िलहाल विफल ही रहे हैं.

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दलाई लामा चीन से निराशतस्वीर: AP

धर्मशाला में तिब्बत के सैकड़ों प्रतिनिधियों के सम्मेलन से पहले धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा था कि चीन के साथ उनके दूत के वार्तालाप के प्रति वे आशावादी नहीं हैं. लेकिन एक नई रणनीति इस सम्मेलन में ही विकसित की जानी चाहिए. दलाई लामा अब तक मध्यमार्ग के हिमायती रहे हैं, जिसके तहत पूरी आज़ादी की मांग छोड़कर चीन के साथ संवाद के आधार पर अधिक स्वायत्तता की मांग की जा रही थी. लेकिन आज शुक्रवार को चीन की आधिकारिक वार्ता संस्था खिनहुआ की एक समीक्षा में दलाई लामा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया है कि अधिक स्वायत्तता की आड़ में उनका गुट सत्ता पर नियंत्रण की कोशिश कर रहा है, ताकि बाद में पूरी आज़ादी हासिल करते हुए चीन के एक चौथाई क्षेत्र को अलग किया जा सके.

जहां तक तिब्बत के प्रतिनिधियों का सवाल है, तो उनका कहना है कि चीन के ऐसे कड़े रुख़ के मद्देनज़र उनके पास कोई चारा नहीं रह गया है. एक वैकल्पिक रणनीति ढूंढ़ने में वे कामयाब नहीं रहे हैं, और दलाई लामा के विशेष दूत केलसांग गिआलसेंग का कहना है कि वे चीन के दृष्टिकोण में बदलाव का इंतज़ार कर रहे हैं. उसके बाद ही वे अपनी प्रतिक्रिया तय कर सकते हैं.

युवा तिब्बती मध्यमार्ग की नीति से कतई संतुष्ट नहीं हैं. वे चाहते हैं कि निर्वासित तिब्बती समुदाय अपने देश की पूरी आज़ादी के लिए संघर्ष शुरु करें. स्टुडेंट्स फ़ॉर ए फ़्री तिब्बत की भारतीय शाखा के अध्यक्ष तेनज़िन चोएयिंग का कहना है कि मध्यमार्ग की यह नीति निराशा पैदा कर रही है. सारी दुनिया में 25-30 हज़ार तिब्बती युवा इस संगठन के सदस्य हैं.

फ़िलहाल तिब्बत का आंदोलन एक भंवर में फ़ंसा दिखता है और धर्मशाला के सम्मेलन से शायद ही कोई दिशा निर्देशन मिलने वाला है.