ब्रिटेन ने माउ माउ से माफी मांगी
७ जून २०१३ब्रिटिश सरकार ने पीड़ितों को 1.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का मुआवजा देने का भी एलान किया है. ब्रिटिश विदेश मंत्री विलियम हेग ने संसद में कहा, "हम उस दर्द और तकलीफ को समझ सकते हैं. ब्रिटिश सरकार मानती है कि औपनिवेशिक सरकार ने केन्याई लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें प्रताड़ना दी."
1950 के दशक में केन्या पर ब्रिटेन के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए उठे इस विद्रोह का अंग्रेज और केन्याई गठबंधन सेना ने मिल कर दमन किया. हजारों लोगों की हत्या हुई, बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया इतना ही नहीं बड़ी तादाद में महिलाओं के साथ बलात्कार और नसबंदी भी की गई.
नैरोबी में रह रहे पूर्व सैनिकों ने ब्रिटेन का माफीनामा स्वीकार कर लिया है. पूर्व विद्रोहियों के संघ माउ माउ वेटरन्स एसोसिएशन के महासचिव गीतू वा काहेन्गेरी ने कहा है, "हमें माउ माउ के लिए पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला लेकिन हम इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं. यह माउ माउ और ब्रिटेन के बीच मेल मिलाप की शुरुआत है." ब्रिटेन की सरकार ने यह मुआवजा कोर्ट में चल रहे एक मुकदमे को खत्म करने के लिए दिया है. पूर्व विद्रोहियों के गुट ने कहा है कि वह पैसे भुगतान जल्दी हो इसके लिए कोर्ट से बाहर मामला निबटाने पर तैयार है. काहेन्गेरी ने कहा, "अगर हम मुकदमा लड़ते रहे तो, फैसला देखने के लिए जिंदा नहीं रहेंगे क्योंकि हम बहुत बूढ़े हो चले हैं."
ऐसा नहीं कि ब्रिटेन का विदेश मंत्रालय बड़ी आसानी से गलती मानने या मुआवाजा देने के लिए तैयार हो गया हो. पिछले साल लंदन हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि कई बुजुर्ग पीड़ित सरकार से मुआवाजे की मांग कर सकते हैं. विदेश विभाग की दलील थी कि घटना को हुए बहुत ज्यादा वक्त बीत गया है और 1963 में जब केन्या आजाद हुआ तब उन्होंने सारी जिम्मेदारी वहां की सरकार को सौंप दी थी. आजादी के बाद भी माउ माउ लंबे समय तक प्रतिबंधित गुट बना रहा. पिछले राष्ट्रपति के कार्यकाल में इस संगठन को कानूनी दर्जा हासिल हुआ.
विदेश मंत्री ने कहा है कि मुआवजे की रकम को 5228 पीड़ितों में बांटा जाएगा. हर पीड़ित के हिस्से में करीब 2700 पाउंड की रकम आएगी. इसके अलावा ब्रिटिश सरकार नैरोबी में माउ माउ के पीड़ितों के लिए एक स्मारक भी बनवाएगी. हालांकि विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार औपनिवेशिक प्रशासन के खिलाफ विद्रोह के दौरान की गई कार्रवाइयों की जिम्मेदारी नहीं लेती, "हम नहीं मानते कि यह समझौता ब्रिटेन के पूर्व औपनिवेशिक प्रशासन के किए किसी दूसरे कामों के लिए नजीर बनेगा."
केन्या के गैरसरकारी मानवाधिकार संगठन ने माउ माउ को मुआवजे के लिए अपील दायर करने में मदद की. इस संगठन का कहना है कि अब केन्या सरकार की बारी है कि वह अपनी नजरों के सामने हुए जुल्मों की जिम्मेदारी ले.
एनआर/एएम (डीपीए)