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समाज

बीवीयों और गर्लफ्रेंड की हत्या से नजरें चुरा रहा है जर्मनी

२६ नवम्बर २०२०

जर्मनी में हर दिन एक आदमी अपनी पार्टनर या पुरानी गर्लफ्रेंड को मारने की कोशिश करता है. हर तीन में से एक कोशिश सफल होती है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसके बावजूद बहुत सारे दोषी सस्ते में छूट जा रहे हैं.

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Symbolbild Beerdigung
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Klose

2019 में एक रविवार की शाम जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में 32 साल की एक डॉक्टर पर उसके पुराने बॉयफ्रेंड ने चाकू से 18 हमले किए. डॉक्टर की उसके घर के ठीक सामने सड़क पर उसी वक्त मौत हो गई.

फ्रैंकफर्ट में तब अभियोजक रहीं जूलिया शेफर को मौका-ए-वारदात पर बुलाया गया. उन्होंने बताया कि दुखद रूप से यह मामला अलग तरह का था. शेफर याद करती हैं, "उसने उसे छोड़ दिया था और वह उसे फिर से लुभाने की कोशिश कर रहा था. उसने उसे धमकी और गालियां दी जिसके बाद वह पुलिस के पास गई. उसके पास उससे खुद रहने का आदेश भी था. जिस रात यह सब हुआ वह उसके लिए घंटो इंतजार करता रहा, जब उसने उसे बताया कि सब कुछ खत्म हो गया है, तो उसने चाकू निकाल लिया और उसे मार दिया."

इसी हफ्ते जारी हुए ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि 2019 में घरेलू हिंसा में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. बर्लिन में पारिवारिक मामलों की मंत्री फ्रांसिस्का गिफे ने "हैरान करने वाले आंकड़ों" की बात कही. उन्होंने ध्यान दिलाया कि जर्मनी में हर तीसरे दिन एक आदमी अपनी पार्टनर की हत्या कर रहा है. यूरोपीय संघ में 2018 के दौरान हुई महिलाओं की हत्या के मामले में जर्मनी सबसे ऊपर है.

जूलिया शेफर अब हेसे प्रांत के गृह मंत्रालय में अपराध नियंत्रण ईकाई की प्रमुख हैं. उन्होंने बताया कि पार्टनर की हत्या कोई अचानक से उठ कर नहीं करने लगा है. उनके मुताबिक, "अकसर यह कई सालों की उस घरेलू हिंसा का भयानक नतीजा होता है, जो अपमान, प्रताड़ना और साथ ही आर्थिक दबावों से शुरू होती है."

Symbolbild Gewalt gegen Frauen
घरेलू हिंसा की शुरुआत अपमान और मारपीट से शुरू हो कर हत्या पर खत्म होती हैतस्वीर: Imago/photothek

परिभाषा और जागरूकता

महिला अधिकार कार्यकर्ता जर्मनी की टेब्लॉयड मीडिया में इस तरह की घटनाओं की रिपोर्टिंग की बड़ी आलोचना करते हैं. अकसर ऐसी खबरों को "पारिवारिक समस्या," "प्यार में हादसा," या भी "भावुक अपराध" जैसे नामों और दायरों में डाल कर रिपोर्ट किया जाता है. इस तरह के शब्दों  को चुनने का नतीजा होता है कि लोग इसे निजी मामला और सिर्फ एक घटना समझने लगते हैं. जबकि वास्तव में यह पूरे जर्मन समाज की समस्या है.

गैरसरकारी संगठन टेरे डेस फेमेस की वेनीसा बेल कहती हैं, "पार्टनर की हत्या जर्मनी में अब भी एक वर्जित विषय है." आंकड़ों में सिर्फ उन घटनाओं की बात होती है जिनमें या तो आरोप लगाए गए या फिर दोष साबित हुआ. 2014 में पूरे यूरोपीय संघ में किए गए एक रिसर्च से पता चलता है कि तीन में से केवल एक मामले में ही पुलिस से शिकायत की जाती है.

हत्या या इरादतन नरसंहार?

फ्रैंकफर्ट वाली घटना में हमलावर को हत्या का दोषी माना गया और उसे उम्रकैद की सजा हुई. इस तरह के बहुत से मामलों में हालांकि जर्मन अदालतें बहुत नरम रुख अपनाती हैं. अकसर हमलावरों को सिर्फ मर्जी से इरादतन नरसंहार का दोषी माना जाता है, जिसमें अधिकतम 10 साल के कैद की सजा होती है.

हर मामले में परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाता है और अकसर जज इस तरह की परिस्थितियों के लिए उसकी भावनात्मक निराशा को जिम्मेदार समझते हैं. इसका यह अर्थ निकाला जाता है कि उसने जलन की पीड़ा से बचने के लिए खुद को कष्ट देकर उस महिला की हत्या की जिसे वह प्यार करता था.

बहुत से जज 2008 में जर्मनी की संघीय अदालत के उस फैसले का जिक्र करते हैं. उस फैसले में अदालत ने निचली अदालत के हत्या के फैसले को पलट कर यह निर्णय सुनाया कि आरोपी की मंशा गलत नहीं थी. कोर्ट को कोई घृणित और बुनियादी मकसद नहीं मिला जो हत्या की सजा सुनाने के लिए जरूरी है.  इसकी बजाय अदालत ने कहा, "अलगाव की शुरुआत पीड़ित की तरफ से हुई और उसे मार कर आरोपी ने खुद को उस चीज से महरूम किया जिसे वह खोना नहीं चाहता था."

Protest der Frauenhäuser in Deutschland
बहुत सी पीड़िताएं अपने पीछे बच्चे छोड़ जाती हैं जिन्होंने अपराध होते देखा और भयभीत होते हैं.तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Carstensen

जर्मन विमेन लॉयर्स एसोसिएशन की लियोनी स्टाइन्ल का कहना है, "समस्या यह है कि इससे एक तरह का पीड़ित के लिए आरोप प्रत्यारोप शुरू हो जाता है."

कोर्ट ने यह भी माना, "एक महिला की हत्या इसलिए हुई क्योंकि हत्या करने वाला उसे स्वावलंबी जीवन नहीं जीने दे रहा था. इस तरह का आरोप अधिकार और लिंग के आधार पर असमानता का नतीजा है." उनकी दलील है कि यही तो महिलाओं की हत्या की परिभाषा है. महिला की हत्या का कारण उसका लिंग बना.

स्टाइन्ल का कहना है, "जब एक पुरुष अपने पूर्व या मौजूदा जोड़ीदार की हत्या करता है क्योंकि वह उसे छोड़ कर चली गई या फिर छोड़ना चाहती थी, तो इसे सामान्य रूप से हत्या के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि यह कृत्य लिंग आधारित अधिकार के विचार से हुआ, जो मानवीय गरिमा का उल्लंघन करता है."

अल्पसंख्यकों के लिए भेदभाव वाला नजरिया

स्टाइन्ल के मुताबिक यह उसी तरह का पितृसत्तात्मक विचार है जो तथाकथित "ऑनर किलिंग" का आधार है. ऑनर किलिंग में महिलाओं की हत्या उसके परिवार के लोग ही परिवार का नाम खराब करने के लिए कर देते हैं.

वास्तव में "ऑनर किलिंग" जलन के कारण पूर्व जोड़ीदार के हाथों हुई हत्या के पीछे संदर्भ पितृसत्तात्मक मालिकाना हक है. स्टाइन्ल का कहना है, "इन सारे समूहों में महिलाओं की हत्या लिंग आधारित कारणों से होती है क्योंकि हत्या करने वाला उन्हें अपने से अलग उनके मूल्यों और विचारों पर आधारित स्वतंत्र जीवन जीने की अनुमति नहीं देता है. हालांकि अगर इन मामलों में अदालत के फैसलों पर नजर डालें, तो हम देखते हैं कि जर्मन अदालतों ने ऑनर किलिंग को एक अलग सामाजिक संदर्भ में रखा है और उसके लिए कठोर सजाएं दी है."

Mexiko City Protest gegen Gewalt an Frauen und Femizide
मेक्सिको में महिलाओं की हत्या के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हुए हैं जो दुनिया के लिए मिसाल हैं.तस्वीर: Reuters/R. Cunha

इस मामले में एक दिलचस्प नजरिया सामने आया है जो पश्चिमी जगत की दुविधा दिखाता है. वेनीसा बेल का मानना है, "महिलाओं की हत्या को सामाजिक रूप से समस्या मानने के ज्यादा आसार तब बनेंगे जब उन्हें खासतौर से धार्मिक या जातीय अल्पसंख्यकों की समस्या माना जाए. हालांकि सच्चाई यह है कि हत्या करने वाले दो तिहाई से ज्यादा जर्मन नागरिक हैं."

पूर्व अभियोजक जूलिया शेफर कहती हैं, "घरेलू हिंसा समाज के सभी वर्गों में है, इसमें किसी धर्म, राष्ट्रीयता या शिक्षा का सवाल नहीं है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इससे यह कह कर मुंह ना मोड़ें कि यह हमारा काम नहीं, बल्कि इससे जुड़ना होगा, मदद देनी होगी या पुलिस को बुलाना होगा."

अब तक की प्रगति

जर्मनी ने 2018 में यूरोपीय परिषद के इस्तांबुल कंवेंशन पर 2018 में दस्तखत किए. यह दुनिया का पहला बाध्यकारी कानूनी दसत्वाजे है जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकता है और इसने महिलाओं की हत्या को समाज की संरचनात्मक समस्या माना है. इसने पीड़ितों की रक्षा करने के साथ ही उन कदमों की पहचान की है, जिन्हें जर्मन कानूनी तंत्र में निश्चित रूप से लागू करना होगा.

2021 में पर्यवेक्षकों की एक टीम जर्मनी में तब तक हुई प्रगति की समीक्षा करेगा. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि इससे पुलिस और जजों को प्रशिक्षित करने में तेजी आएगी, जिसकी बहुत जरूरत है. साथ ही पीड़ितों की मनोवैज्ञानिक और कानूनी देखभाल का विस्तार होगा, राष्ट्रीय जागरूकता के अभियान शुरू होंगे, महिलाओं के लिए आश्रय बढ़ेंगे, जो अब भी बहुत कम है. हर साल करीब 30 हजार महिलाएं आश्रय की खोज करती हैं जबकि फिलहाल इसकी आधी संख्या में ही आश्रय मौजूद हैं.

लियोनी स्टाइन्ल का कहना है कि जर्मनी लिंग आधारित हिंसा के मामले में नेतृत्व की भूमिका संभालना चाहता है लेकिन दुखद है कि यह अभी काफी पीछे है. उनके मुताबिक, "ज्यादातर लोगों ने तो फेमीसाइड या फिर महिला हत्या जैसी कोई बात ही नहीं सुनी या फिर वो समझते हैं कि यह सब सिर्फ मेक्सिको में होता है जहां महिलाओं का अपरहरण कर उनका बलात्कार, हत्या और अंग भंग कर दिया जाता है. दुनिया भर के लोग महिलाओं की हत्या के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं, लेकिन जर्मनी में तो यह अभी आम चर्चा का विषय भी नहीं बना. यहां हम दूसरे देशों से बहुत कुछ सीख सकते हैं."

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