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बीजेपी ने जसवंत सिंह को किया बाहर

१९ अगस्त २००९

पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी नेता जसवंत सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया है. उनकी लिखी किताब में मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ़ की गई है जिससे लेकर ख़ासा विवाद हो रहा है. जसवंत ने अपने निष्कासन को अफ़सोसनाक बताया है.

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बीजेपी से छुट्टीतस्वीर: AP

जसवंत सिंह को पार्टी ने निकालने का फ़ैसला शिमला में पार्टी के तीन दिवसीय सम्मेलन के शुरुआती दिन लिया गया. पार्टी अध्य्क्ष राजनाथ सिंह ने इस फ़ैसले के बारे में मीडिया को बताया. बीजेपी अध्यक्ष ने मंगलवार को ही एक बयान जारी करके जसवंत सिंह की किताब 'जिन्ना- इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस' से पार्टी को पूरी तरह अलग किया.

राजनाथ सिंह ने कहा, "मैंने कल ही एक बयान जारी किया कि पार्टी इस किताब में लिखी गई बातों से ख़ुद को पूरी तरह अलग करती है. आज यह मामला पार्टी के ससंदीय बोर्ड के सामने रखा गया जिसने उनकी प्राथमिक सदस्यता को ख़त्म करने का फ़ैसला किया. उन्हें पार्टी से निकाला गया है और अब से वह पार्टी के किसी भी संगठन के सदस्य नहीं होंगे और उन्हें कोई पद नहीं दिया जाएगा."

राजनाथ सिंह ने बताया कि उन्होंने मंगलवार को ही जसवंत सिंह को बता दिया था कि वह पार्टी की "चिंतन बैठक" में हिस्सा लेने के लिए शिमला न आएं. जसवंत सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि भारत के विभाजन के लिए जिन्ना ज़िम्मेदार नहीं थे.

इससे पहले 2005 में आडवाणी भी अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान जिन्ना को 'धर्मनिरपेक्ष' बता चुके हैं जिसे लेकर हुए विवाद के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देना पडा था.

जसवंत सिंह ने ख़ुद को पार्टी से निकाले जाने को दुखद और अफ़सोसनाक बताया है. उन्होंने कहा कि जिन्ना पर किताब लिखने का उन्हें कोई अफ़सोस नहीं है और "इतिहास के दर्दनाक दौर" के बारे में उन्होंने जो लिखा, वह उस पर अब भी क़ायम हैं. प्रेस कांफ़्रेंस के दौरान बेहद भावुक जसवंत सिंह ने कहा कि पार्टी से तीस साल पुराना संबंध इस तरह ख़त्म होने पर वह दुखी हैं लेकिन उन्हें बताया जा सकता था कि वह शिमला न आएं.

पश्चिम बंगाल की दार्जलिंग सीट से लोकसभा में पहुंचने वाले जसवंत सिंह ने कहा कि उनका राजनीतिक जीवन ख़त्म नहीं हुआ है और वह सांसद बने रहेंगे. जसवंत सिंह ने कहा कि वह ख़ुद को पार्टी से निकाले जाने के ख़िलाफ़ वह कोई अपील नहीं करेंगे और न ही इस बारे में कोई समीक्षा चाहते हैं लेकिन इस बारे में पार्टी ने नियमों का पालन नहीं किया.

वैसे लोकसभा चुनावों में हार के बाद से ही जसवंत सिंह और पार्टी नेतृत्व के बीच तनाव है. उन्होंने हार के कारणों पर पूरी तरह विश्लेषण करने की मांग की थी. उम्मीद है कि कुछ बीजेपी नेता "चिंतन बैठक" में जसवंत सिंह को पार्टी से निकाले जाने का मुद्दा उठाएंगें.

जसवंत सिंह को ऐसे समय में पार्टी ने निकाला गया है जब बीजेपी राजस्थान में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बग़ावती तेवरों से जूझ रही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः राम यादव