बीजिंग की हवा सुधरी लेकिन देश अब भी बेहाल
११ जनवरी २०१८कोयले के इस्तेमाल और औद्योगिक गतिविधियों पर सख्त पाबंदी ने राजधानी बीजिंग और पूरे उत्तरी चीन की हवा साफ कर दी है. इसमें उपयुक्त मौसम ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. हालांकि पूरे चीन को देखें तो यहां प्रदूषण के स्तर में 4.5 फीसदी की कमी आई है जो 2013 के बाद सबसे कम सुधार है. ग्रीनपीस की गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. 2013 में चीन ने बीजिंग से कोयला, सीमेंट और स्टील का उत्पादन बंद कर दिया था.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण किया तो सांस के साथ शरीर में चले जाने वाले सूक्ष्म कणों यानी पीएम 2.5 की मात्रा बीजिंग और दूसरे 27 शहरों में काफी अलग अलग है. इनमें वो शहर भी हैं जहां प्रदूषण के खिलाफ कई कदम उठाए गए हैं और वो भी जो इस योजना से बाहर हैं.
इन आंकड़ों से पता चलता है कि ज्यादातर शहरों को अपनी चपेट में ले चुके दमघोंटू कोहरे से मुक्त कराने की सरकार की कोशिशों का असर तो हुआ है लेकिन यब असर चीन में सभी जगहों पर बराबर नहीं है. चीन को वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है.
ग्रीनपीस का कहना है कि बीजिंग में प्रदूषण का स्तर 2017 की आखिरी तिमाही में पिछले साल के मुकाबले करीब 53.8 फीसदी घट गया जबकि पीएम 2.5 का स्तर हाइलोंगिजांग, अनहुई और चियांगसू प्रांत में बढ़ गया.
ग्रीनपीस ईस्ट एशिया के क्लाइमेट एंड एनर्जी कैम्पेनर हुआंग वाइ ने कहा, "चीन के राष्ट्रीय वायु प्रदूषण कार्य योजना ने प्रदूषण के स्तर में भारी कमी लाई है और इसके साथ ही स्वास्थ्य को लेकर जोखिम भी कम हुआ है लेकिन कोयले और भारी उद्योग पर मेहरबानी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ने से रोक रही है."
चीन की अर्थव्यवस्था ने पिछले साल के ज्यादातर हिस्से में उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया है. बहुत से अर्थशास्त्री इसके लिए औद्योगिक क्षेत्र और निर्माण में आई तेजी को अर्थव्यवस्था की बेहतरी का श्रेय देते है. 2017 में लोहे का उत्पादन चीन में 83.2 करोड़ टन तक चला गया जो एक रिकॉर्ड है.
शांक्सी प्रांत के औद्योगिक शहर लिनफेन में औसत वायु प्रदूषण पिछले साल की तरह ही बढ़ा है. यह शहर सरकार की प्रदूषण के खिलाफ कार्ययोजना में शामिल नहीं है. इसके उलट शांक्सी की राजधानी तायुआन जो लिनफेन से करीब 250 किलोमीटर दूर है, वहां की हवा में काफी सुधार हुआ है. तायुआन 28 शहरों में चल रहे प्रदूषण विरोधी अभियान में शामिल है.
ग्रीनपीस का कहना है कि पीएम 2.5 का स्तर साल दर साल के हिसाब से देखें तो इन 28 शहरों में करीब 40 फीसदी तक नीचे गया है. ये आंकड़े मध्य अक्टूबर से मध्य मार्च तक के हैं. आस पास के शहरों में यह कमी केवल 23 फीसदी की है.
एनआर/एमजे (रॉयटर्स)