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बिहार में पुलिस-पब्लिक भिड़ंत पर गर्म हुई सियासत

मनीष कुमार, पटना
३० अक्टूबर २०२०

बिहार के मुंगेर शहर में दशहरा के दिन प्रतिमा विसर्जित करने के दौरान अहिंसक भीड़ पर पुलिसकर्मियों द्वारा लाठीचार्ज व फायरिंग में एक युवक की मौत के बाद राजनीति गर्म हो गई है. बात जनरल डायर से तालिबानी शासन तक पहुंच गई.

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Indien Bihar | Normalität in Munger
तस्वीर: IANS

बिहार में तीन नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण को देखते हुए राजनीतिक दल रोटियां सेंकने में जुट गए हैं. आरोप-प्रत्यारोप के जरिए चुनावी लाभ लेने की कोशिशों के बीच मुंगेर शहर गुरुवार को फिर सुलग उठा. विसर्जन जुलूस पर फायरिंग की घटना का यहां 28 अक्टूबर को हुए मतदान पर भी खासा असर रहा. मुंगेर के तीन विधानसभा क्षेत्रों में औसतन 46-47 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि इसके पड़ोसी जिलों में औसतन यहां से करीब दस फीसद अधिक वोटिंग हुई. चुनाव आयोग ने गुरुवार की घटना के बाद जिलाधिकारी राजेश मीणा तथा पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह को हटा दिया है. रचना पाटिल मुंगेर की डीएम तथा मानवजीत सिंह ढिल्लो नए एसपी बनाए गए हैं.

परंपरा तोड़ने से इनकार पर हुई भिड़ंत

दरअसल, 26 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन मुंगेर शहर में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन हो रहा था. परंपरा के अनुसार बड़ी दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए डोली पर ले जाया जाता है जिसे 32 लोग उठाकर चलते हैं. बड़ी दुर्गा की मूर्ति के विसर्जित होने के बाद ही किसी अन्य प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है. जुलूस धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, जबकि पुलिस शंकरपुर दुर्गा पूजा समिति की प्रतिमा को आगे निकाल कर विसर्जन करवाना चाह रही थी. आदेश नहीं मानने पर पुलिस व पूजा समिति के सदस्यों के बीच झड़प हो गई. इसी बीच पुलिस के जवानों ने शहर के दीनदयाल उपाध्याय चौक के पास विसर्जन जुलूस में शामिल लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया. लाठीचार्ज होते ही आक्रोशित भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया. इस बीच फायरिंग होने लगी.

गोली लगने से अमरनाथ पोद्दार नामक व्यवसायी के 18 वर्षीय पुत्र अनुराग पोद्दार की मौत हो गई. पुलिस ने निहत्थे लोगों पर जमकर लाठियां भांजीं. घटना के बाद वायरल वीडियो पुलिस की बर्बरता बयां करने को काफी है. सात अन्य लोगों को भी गोली लगने की सूचना है. इस संबंध में 30 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इधर पुलिस का कहना था कि गोली भीड़ में से किसी ने चलाई, पुलिस ने फायरिंग नहीं की. मुंगेर की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह के अनुसार "विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों ने निशाना साधकर पुलिसकर्मियों पर पथराव किया. उपद्रवियों की ओर से चली गोली से एक व्यक्ति की मौत हुई. बीस से अधिक जवान भी घायल हुए हैं." मुंगेर चैंबर ऑफ कामर्स ने इस घटना का विरोध करते हुए दोषी पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की तथा अनिश्चितकाल तक मुंगेर बाजार बंद करने का निर्णय लिया.

Indien Bihar | Proteste und Gewalt in Munger
पुलिस के साथ विवाद के बाद हिंसातस्वीर: IANS

कार्रवाई न होने से हिंसा पर उतरे लोग

पुलिस बार-बार अपना बचाव करने में जुटी रही. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो व लोगों के आक्रोश पर आला अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. अंतत: दो दिन बाद गुरुवार को लोगों का आक्रोश फूट पड़ा. जैसे ही शहर में चुनाव के मौके पर तैनात किए गए अर्द्धसैनिक बलों के दस्ते रवाना हुए, एक और के मौत की अफवाह फैली. उस समय जस्टिस फॉर अनुराग के सदस्य धरना दे रहे थे. इन सदस्यों के साथ ही और कुछ युवा सड़क पर उतर आए. देखते ही देखते भीड़ में सैकड़ों लोग खासकर युवा शामिल हो गए. क्रुद्ध भीड़ ने तीन थानों को फूंक दिया. पुलिस के कई वाहनों तथा थाने के पास जब्त कर रखे गए वाहनों में आग लगा दी.

कई घंटे तक शहर रणक्षेत्र में तब्दील रहा, भीड़ घूम-घूमकर उत्पात मचाती रही. वे शहर की सड़कों पर मुंगेर पुलिस हाय-हाय और मुंगेर एसपी मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए आगजनी करते रहे. आक्रोश का आलम यह था कि नए डीएम-एसपी के आगमन की सूचना मिलने पर भीड़ साफियाबाद हवाई अड्डे पर पहुंच गई और वहां हेलीकॉप्टर को क्षतिग्रस्त कर दिया. इस दौरान अफवाहों ने आग में घी का काम किया. बेकाबू हालात देख डीआइजी मनु महाराज सड़क पर उतरे और स्थिति को नियंत्रित किया. स्थानीय लोगों का कहना था कि फायरिंग व लाठीचार्ज की घटना के बाद से ही पुलिस-प्रशासन के प्रति लोगों में काफी आक्रोश था. दोषी थानेदारों के खिलाफ कार्रवाई न होने से लोग उद्वेलित हो उठे थे. भीड़ ने उन्हीं थानों पर हमला किया जहां के थानेदारों को वे इस घटना के लिए जिम्मेदार मान रहे थे.

सीआईएसफ की रिपोर्ट में पुलिस पर आरोप

हालांकि चुनाव आयोग द्वारा हटाए जाने से पहले डीएम राजेश मीणा व एसपी लिपि सिंह ने दो थानेदारों को लाइन हाजिर करते हुए एसडीओ के नेतृत्व में एसआइटी का गठन करते हुए उन्हें जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दे दिया था. लोगों का कहना था कि यदि दोषी थानेदारों को पहले ही हटा दिया जाता तो मुंगेर शहर गुरुवार को नहीं उबलता. वैसे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की इंटरनल रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 26 अक्टूबर की रात फायरिंग की शुरुआत मुंगेर पुलिस ने ही की थी.

यह रिपोर्ट सीआइएसएफ के एक डीआईजी ने तैयार कर मुख्यालय को भेजी है. इसमें कहा गया है कि रात्रि 11.45 बजे विसर्जन जुलूस में स्थानीय पुलिस व लोगों के बीच विवाद हुआ. उसके बाद लोगों ने पथराव किया. हालात को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय पुलिस ने सबसे पहले हवाई फायरिंग की. इसके बाद भीड़ और उग्र हो गई. हालात बेकाबू होते देख विसर्जन जुलूस की सुरक्षा ड्यूटी में तैनात सीआइएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया ने अपनी राइफल से करीब एक दर्जन गोलियां हवा में दागी थी.

Wahlveranstaltungen in Bihar, Indien 2020
चुनावी सभा को संबोधित करते तेजस्वी यादवतस्वीर: IANS

मुद्दा बनाने में जुटे राजनीतिक दल

26 अक्टूबर को निहत्थे लोगों पर लाठीचार्ज और फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत को राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव के अगले दो चरण को देखते हुए मुद्दा बनाने में जुट गए. मुंगेर के समीपवर्ती कोसी व सीमांचल के इलाके में तीसरे चरण में चुनाव होना है. इस घटना के तुरंत बाद विपक्ष हमलावर हो उठा. राजद व लोजपा ने एसपी लिपि सिंह को बर्खास्त करने तथा घटना की सीबीआई जांच की मांग की. लालू प्रसाद यादव के पुत्र व महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने कहा, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जवाब देना चाहिए कि आखिर किसके इशारे पर जनरल डायर बने. इसकी अनुमति उन्हें किसने दी." उन्होंने उपमुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए पूछा कि ट्वीट करने के अलावा उन्होंने इस घटना पर क्या किया? कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सूरजेवाला ने कहा कि बिहार में निर्दयी कुमार व निर्मम मोदी का शासन है. आश्चर्य है, कोई ऐसा मुख्यमंत्री भी हो सकता है जो मां दुर्गे के भक्तों की हत्या का आदेश देता है. जिन भक्तों के सिर पर माता की लाल चुनरी होनी चाहिए थी उनके सिर पुलिस की लाठियों से लहूलुहान कर दिए गए. कई लोग जो मां दुर्गे की प्रतिमा के पास बैठ गए थे, उन निहत्थे लोगों पर भी बेरहमी से निर्ममतापूर्वक लाठियां बरसाईं गईं. उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी नीतीश सरकार को बर्खास्त करने का साहस दिखाएंगे.

मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने भी मुख्यमंत्री की तुलना जनरल डायर से करते हुए कहा कि नीतीश कुमार इन दिनों जनरल डायर की भूमिका में हैं, जिसने जालियांवाला बाग जैसे नरसंहार का आदेश दिया था. मुंगेर की इस घटना के लिए सीधे मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं. श्रद्धालुओं को गोली मारना नीतीश कुमार के तालिबानी शासन का द्योतक है. मुंगेर एसपी को तत्काल निलंबित कर उस पर धारा-302 के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए. चिराग के आरोपों पर जदयू नेता संजय झा कहते हैं, "अब प्रूव हो गया, ये तेजस्वी की बी टीम है. उसी की मदद के लिए ये सारा खेल खेल रहे हैं." वहीं जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह विपक्षियों के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहते हैं, "राजद नेता तेजस्वी यादव जातीय उन्माद के कंधे पर सवार होकर बिहार फतह करने निकले हैं. उन्हें और कुछ दिखाई नहीं दे रहा." केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने भी कहा है कि बर्बरता का यह कृत्य दुर्भाग्यपूर्ण है. दोषी चाहे कितना बड़ा भी अधिकारी क्यों न हो, जांच के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

Indien Bihar Wahlkampf Valmeki Nagar und  Nitish Kumar
मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारी थे मुंगेर में कलेक्टर और एसपीतस्वीर: IANS

पहले भी विवादों से घिरी हैं लिपि सिंह

चुनाव का मौसम तो है ही, किंतु दरअसल मुंगेर की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह के जदयू नेता व राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह की पुत्री होने के कारण राजनीतिक दलों ने उन्हें निशाने पर लेते हुए एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने तो मुंगेर में दोबारा हुई घटना के बाद साफ कहा, "मुंगेर की एसपी जदयू के एक बड़े नेता की बेटी है और वहां के डीएम नीतीश कुमार के चहेते." दरअसल लिपि सिंह पहले भी विवादों से घिरी हैं. भारतीय पुलिस सेवा की 2016 बैच की बिहार कैडर की अधिकारी लिपि सिंह पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी चुनाव कार्य से हटाई गईं थीं. बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी व 2019 के लोकसभा चुनाव में बाढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी नीलम देवी ने चुनाव आयोग से उनकी शिकायत की थी. उस समय लिपि बाढ़ की एएसपी थीं. नीलम देवी ने आरोप लगाया था कि जदयू नेता आरसीपी सिंह की पुत्री होने के कारण वे चुनाव में गड़बड़ी कर सकतीं हैं तथा वे अनंत सिंह को करीबियों को जान-बूझकर परेशान कर रहीं हैं.

हालांकि चुनाव संपन्न होने के बाद वह फिर से बाढ़ में पुराने पद पर तैनात की गईं तथा बाद में उन्हें प्रोन्नत कर मुंगेर का एसपी बनाया गया. 23 अगस्त, 2019 को वे एकबार फिर चर्चा में आईं जब आर्म्स एक्ट में दिल्ली की साकेत कोर्ट में सरेंडर करने के बाद बाहुबली अनंत सिंह को लाने वे दिल्ली गईं थीं. उस समय उन पर आरोप लगा था कि जिस गाड़ी से वे उन्हें लाने गईं थीं उस पर राज्यसभा का स्टीकर लगा था. विरोधी उनपर यह भी आरोप लगाते रहे हैं कि राजनीतिक रसूख के कारण वे अपने वरीय अधिकारियों की भी नहीं सुनती थीं. हालांकि ऐसा नहीं है कि लिपि सिंह जहां रहीं वहां अपराध नियंत्रण में कमजोर रहीं. उन्होंने भारी मात्रा में आग्नेयास्त्र पकड़े तथा नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की. वे कड़क व ईमानदार अधिकारी के रूप में भी चर्चित रहीं हैं. निर्वाचन आयोग ने डीएम-एसपी को हटाकर सख्ती दिखाते हुए पूरे प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी मगध के प्रमंडलीय आयुक्त असंगबा चुबा को सौंपी है.

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