बिस्तर: कलाकारों की नजर से
बिस्तर महज सोने की एक जगह नहीं बल्कि जीने-मरने, प्यार-नफरत, अकेलेपन या सबका साथी है. वियना के आर्ट म्यूजियम 21 में दिखाया गया है कि कला के तमाम माध्यमों में बिस्तर को कैसे प्रदर्शित किया गया है.
बेड में किसके साथ...
आजकल मशहूर सेलीब्रिटीज बेड में भी अपनी सेल्फी लेकर फैन्स से साझा कर लेते हैं. 1998 में जब जर्मन फोटोग्राफर युर्गेन टेलर ने टॉप मॉडल केट मॉस की ये तस्वीर ली, तब ऐसा होना कोई आम बात नहीं थी. सफेद चादर में लिपटी मॉस की इस तस्वीर को "यंग पिंक केट" कहा गया. इससे सितारों के बेडरूम में ताकाझांकी की भावना संतुष्ट होती है.
पॉप और उकसावे के बीच
1994 में बेटीना राइम्स ने पॉप गायिका मडोना की ये तस्वीर ली, जिसमें वे अस्त व्यस्त बिस्तर पर केवल अपने अंत:वस्त्रों में बैठी दिखीं. नाइटस्टैंड पर रखे फूलदान में लाल गुलाबों का गुलदस्ता प्यार और जुनून को दिखाता है तो वहीं उसकी गिरी हुई पंखुड़ियां हर चीज के अस्थायित्व को. इसी साल मडोना का मशहूर एलबम "बेडटाइम स्टोरीज" रिलीज हुआ.
बेड से ही शुरु
"मास्टर ऑफ दि डिविसियो एपोस्टोलोरम" नाम की यह पेंटिंग स्टीरिया (दक्षिण पूर्व ऑस्ट्रिया का एक शहर) के एक कलाकार की बनाई हुई है. इसी पेंटर ने 15वीं शताब्दी के अंत में "बर्थ ऑफ मैरी" नाम की पेंटिंग भी बनाई. इस पेंटिंग में दर्शाया गया है कि जीवन बिस्तर पर ही पैदा होता है.
अकेलेपन में
जीवन-मरण, प्रेम-बिछोह, तन्हाई या साथ, इन्हीं भावनाओं को समेटती हुई पेंटिंग्स, शिल्प, फोटो और वीडियो इस प्रदर्शनी के क्यूरेटर मारियो कोडोग्नाटो ने आमंत्रित की थीं. 1909 में पियरे बोनार्ड की बनाई इस ऑयल पेंटिंग में अकेलेपन का चित्रण है. नाम है "रिक्लाइनिंग न्यूड अगेंस्ट अ व्हाइट एंड ब्लू प्लेड."
कहां सोते हैं आप
योहान बैपटिस्ट राइटर ने अपनी "स्लीपिंग वुमन" (1849) नाम की पेंटिंग में अकेलेपन के कामुक पहलू को दिखाया है. आर्ट क्यूरेटर कोडोग्नाटो को इतिहास में हर जगह हर संस्कृति में पाए जाने वाले बेड का कॉन्सेप्ट बहुत आकर्षक लगता था. बेड देखकर आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक विकास की प्रक्रिया को समझा जा सकता है.
बीमारियां और तकलीफ भी
कोई गंभीर बीमारी हो तो बेड पर ही लंबा समय गुजारना पड़ता है. ऑस्ट्रिया की पेंटर मारिया लासनिक ने अपनी "हॉस्पिटल" (2005) नाम की ऑयल पेंटिंग में बेड को तकलीफों और निराशा की जगह के रूप में दिखाया है. जब उन्होंने यह पेंटिंग की थी तब वे 86 साल की थीं और 2014 में ही उनकी मृत्यु हो गई.
टेडी बियर के साथ युद्ध का प्रचार
सर सेसिल बीटन ने केवल शाही और मशहूर लोगों की ही नहीं बल्कि युद्ध काल की भी तस्वीरें लीं. 1940 में उन्होंने तीन साल की एक बच्ची, आईलीन डुन्ने की तस्वीरें लीं, जो यहां अपने टेडी बियर को पकड़े हुए दिख रही है. यह लड़की जर्मन हवाई हमलों में घायल हो गई थी. 23 सितंबर, 1940 को लाइफ पत्रिका के कवर पर छपी यह तस्वीर दूसरे विश्व युद्ध के बारे में प्रचार का एक महत्वपूर्ण औजार बन गई थी.
लोगों की घिसाई
जबर्दस्ती घर छोड़ने को मजबूर, देशनिकाला और हिंसा - फिलिस्तीनी ब्रिटिश कलाकार मोना हातुम के यही विषय थे. 2008 की उनकी "डॉरमिंटे" नाम की इस पेंटिंग में चीज कसने वाले ग्रेटर की तरह दिखने वाला एक स्टील का बेड दिखता है. इसी से वे तत्कालीन स्थिति की असुविधा को दिखाती हैं.
फिर कभी ना उठ सके
अमेरीकी आर्टिस्ट लुसिंडा डेवलिन ने 1990 के दशक में अमेरिका की जेलों में मौत की सजा देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खास कमरों की तस्वीरें लीं. फोटो में वह बेड है जिसपर लिटाकर कैदी को मौत के इंजेक्शन दिए जाते थे.
पैरों के लिए बिस्तर
ऑस्ट्रियन कलाकार ब्रिगिट युर्गेन्सेन ने 1970 के दशक में बेड नहीं बल्कि जूतों के विषय पर खूब काम किया. 1973 में उन्होंने "मैट्रेस शूज" बनाए जो चमड़े, कॉर्क और कपड़े के बने जूतों के बिस्तर जैसे थे.